Sunday, 15 September 2024
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जाने कब हुई थी शारदीय नवरात्रि की शुरुआत, ये 2 कथाएं हैं सबसे प्रचलित जानें ओणम त्योहार क्यों है खास जानें रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि वास्तुशास्त्र के अनुसार घर-दफ्तर में मौजूद ये चीजें बनती हैं दुर्भाग्य का कारण, तुरन्त करें बाहर जाने वास्तु के अनुसार घर की किस दिशा में लगाना चाहिए मनी प्लांट, दूर होगी आर्थिक तंगी 22 सितंबर को बनने जा रहा है गजकेसरी योग, जाने किन 4 राशियों को होगा लाभ जाने भीगे हुए चना खाने से कौन सी समस्या होती है ठीक जाने नवजात शिशु में डेंगू की पहचान कैसे करें: लक्षण और सावधानियां जो माता-पिता को पता होनी चाहिए आईए जानते है होममेड काजल बनाने की आसान विधि दलितों का जीना हरियाणा में कांग्रेस राज में हुआ मुश्किल, गोहाना से मिर्चपुर घटनाओं से कांप उठती है रूह : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

धर्म कर्म

जानें ओणम त्योहार क्यों है खास

जानें ओणम त्योहार क्यों है खास

ओणम केरल में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो फसल के मौसम और पौराणिक राजा महाबली की वापसी का प्रतीक है। यह सांस्कृतिक परंपराओं, पारिवारिक समारोहों और उत्सवी आनंद से भरा त्योहार है, जिसे केरल में सभी समुदाय, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, मनाते हैं।

जानें रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

जानें रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व होता है। जब भी ये व्रत रविवार को पड़ता है तो इसे रवि प्रदोष व्रत भी कहते हैं। प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है। धार्मिक है कि प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। कल यानी 15 सितंबर को रवि प्रदोष व्रत है। आइए जानें इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

किन्नर मंदिर में विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की मूर्ति की स्थापना

किन्नर मंदिर में विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की मूर्ति की स्थापना

 जय माता मंदिर किन्नर एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किन्नर मंदिर में विधि विधान से गणपति जी की मूर्ति स्थापित की गई। श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की और भगवान गणेश की आरती की। मंदिर परिसर भक्तों के जयकारों से गूंज उठा।

बजरंगबली को छोड़कर रामायण काल के अन्य 5 सबसे शक्तिशाली वानर

बजरंगबली को छोड़कर रामायण काल के अन्य 5 सबसे शक्तिशाली वानर

 भगवान श्रीराम ने वानर सेना के दम पर ही रावण की सेना को हरा कर लंका पर कब्जा कर लिया था। उस काल में कपि जाति के वानर रहते थे जो मनुष्य से कुछ भिन्न थे। इन वानरों में अपार शक्ति होती थी। इन वानरों में हनुमानजी सबसे शक्तिशाली हैं परंतु हम इन्हें छोड़कर अन्य 5 वानरों की बात कर रहे हैं। आओ जानते हैं कि और कौनसे वानर सबसे शक्तिशाली थे।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गणेश चतुर्थी को चंद्रमा को देखना माना जाता है अशुभ

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गणेश चतुर्थी को चंद्रमा को देखना माना जाता है अशुभ

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गणेश चतुर्थी यानी भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर चंद्रमा को नहीं देखा जाता है क्योंकि मना जाता है कि गणेश जी ने चंद्र को शाप दिया था। इसीलिए इस दिन चंद्रमा के दर्शन से बचना जरूरी होता है। यदि कोई जाने अनजाने दर्शन कर लेता है तो उसे चंद्र दोष तो लगता ही है साथ में मान्यता अनुसार उस पर चोरी का झूठा इल्जाम भी लग जाता है। यदि भूलवश चंद्र दर्शन हो जाएं तो क्या करें?

जानिये महाभारत की ऐसी कई महिलाएं जिनके कष्ट और दुख का जिक्र महाभारत में कही नहीं किया गया

जानिये महाभारत की ऐसी कई महिलाएं जिनके कष्ट और दुख का जिक्र महाभारत में कही नहीं किया गया

महाभारत में हजारों महिलाएं थीं, परंतु कुछ महिलाओं की चर्चा बार बार होती हैं क्योंकि वे सभी हस्तिनापुर की राजनीति के केंद्र में थीं। हालांकि इसके अलावा भी ऐसी कई महिलाएं थीं जिनकी कथा और व्यथा पर चर्चा होना चाहिए क्योंकि उन्होंने बहुत दुखः सहने के बाद ऐसे कार्य किए थे तो महाभारत की रचना करते हैं। आओ जानते हैं इनमें से 5 महिलाओं के बारे में।

जानें लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव मानने की विधि और नियम

जानें लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव मानने की विधि और नियम

जनमाष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो हर साल भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को बड़े धूमधाम से आयोजित होता है, इस खास दिन को विशेष रूप से लड्डू-गोपाल की पूजा और उनकी जन्म कथा का वाचन करके मनाते हैं, लड्डू-गोपाल के जन्म की इस पावन घड़ी को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए, व्रति भक्त भगवान कृष्ण की पूरी कथा का श्रवण करते हुए, उनके मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना करते हैं, इस अवसर पर भव्य सजावट और दिव्य प्रसाद का आयोजन भी किया जाता है, जो इस उत्सव को और भी खास बनाता है, यहां जानते है कैसे और किस विधि के साथ लड्डू-गोपाल का जन्मोत्सव कैसे मनाना चाहिए:-

अजा एकदाशी पर भगवान विष्णु को अर्पित करें ये चीजें, मिलेगा मनचाहा फल

अजा एकदाशी पर भगवान विष्णु को अर्पित करें ये चीजें, मिलेगा मनचाहा फल

अजा एकदाशी का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। यह हर साल भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 29 अगस्त को मनाई जाएगी। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भक्त इस शुभ अवसर पर श्री हरि की पूजा करते हैं और उनके लिए उपवास रखते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करना भी बेहद शुभ माना जाता है।

जाने कब मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी का पर्व, किस शुभ मुहूर्त में कर सकेंगे पूजा

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शक्ति कलश, अग्नि कलश यात्रा और जीभ में त्रिशूल घोंप दिखाई धार्मिक आस्था

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श्री बाला जी सेवा मंडल चंडीगढ़ ने शहर में निकाली शोभायात्रा

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जय माता मंदिर में नगर खेडा का विधिवत धार्मिक रीति रिवाज से श्रृंगार और पूजन

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जानें भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर क्यों हैं विराजमान, जानें इसके पीछे की वजह

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हयग्रीव जयंती : जानिए श्रीहरि विष्णु के हयग्रीव अवतार की कथा

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गायत्री जयंती पर इस तरह माता की पूजा करने से पाए आशीर्वाद

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सावन में 1 माह शिव भक्तों की बैजनाथधाम मंदिर में लगी रहती है भीड़

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जानें  गुरु प्रदोष व्रत कब है, इस दिन सिर्फ 39 मिनट ही रहेगा शिव पूजा का समय

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देवशयनी एकादशी के दिन बचें इन गलतियों से , जानें व्रत नियम और महत्व

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प्रधानमंत्री मोदी के मिशन को गति दे रहा दाती कन्या भ्रूण संरक्षण अभियान

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सावन में शिव को प्रसन्न करने के जानिए यह पांच तरीके

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जानिए सभी ज्योतार्लिंगो और शिवलिंग मे कौनसा है सबसे महान

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सिर ढक कर पूजा करने के महत्व

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