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हिंदू धर्म के पुराणों से आयुर्वेद तक: मेंहदी क्यों है इतनी खास

Updated on Saturday, March 01, 2025 19:07 PM IST

चंडीगढ़। मेहंदी, जिसे हिना के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सोलह श्रंगारों में से एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह वास्तव में एक पत्ते से प्राप्त होती है। इसे हाथों, पैरों, नाखूनों और बाजुओं पर लगाया जाता है। वनस्पति विज्ञान के अनुसार, मेंहदी का वैज्ञानिक नाम ‘लॉसोनिया इनर्मिस’ है, और यह लिथेसिई परिवार का एक कांटेदार पौधा है।

पुराणों में मेंहदी का महत्व

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब मां दुर्गा देवी काली के रूप में राक्षसों का विनाश कर रही थीं, तब उनके क्रोध के कारण उन्हें यह एहसास नहीं हुआ कि उनका कपाल दैत्यों के रक्त से पूरी तरह भर गया है और सभी राक्षसों का संहार हो चुका है। इस स्थिति में उनका रूप अत्यंत भयावह था।

देवी के इस रूप को देखकर ऋषि-मुनि और अन्य देवता चिंतित हो गए। सभी देवताओं के राजा इन्द्र के पास गए, जिन्होंने ऋषि-मुनियों को बताया कि मां काली के क्रोध को केवल भगवान शिव ही शांत कर सकते हैं।

सभी भगवान शिव के पास पहुंचे। उनकी बात सुनकर भगवान शंकर ने देवी को बताया कि उनका काली रूप सभी को भयभीत कर रहा है। यह सुनकर मां महाकाली ने अपनी इच्छा शक्ति से एक देवी को प्रकट किया, जो सुरसुंदरी के नाम से जानी गईं और मां काली के आदेश पर औषधि बनकर हाथ-पैरों में सज गईं। तभी से मेहंदी को औषधि माना जाने लगा है।

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