चंडीगढ़। ओम महादेव कांवड़ सेवादल द्वारा करवाई जा रही पांचवीं शिव महापुराण कथा के पहले दिन रविवार को भक्त और भगवान के बीच में कौन है इस बारे में बताया गया। भगत कहते हैं कि हम भगवान के आश्रित है और सच भी यही है हम सब के पास और कोई दूसरा आसरा सहारा है भी तो नहीं। उस आसरे सहारे का नाम है बांके बिहारी।
मैं रिजु तो गोपाल सो खिचु तो गोपाल सो प्रेम भी उन्हीं से करना है और प्रेम के अधिकार का उपयोग करते हुए लड़ना भी उन्हीं से है कोई और बीच में ही नहीं भक्त और भगवान के बीच में कौन है अगर कोई है तो केवल मात्र एक सद्गुरु ही है जो भगत और भगवान का मिलन करवाया है।
जब नाभाजी ने जो भक्त माल के रचनाकार हैं जब नाभा जी ने भक्तमाल ग्रन्थ को रचा और निकुंज में श्री नाभा जी नाभा सखी के रूप में पुष्पों की माला को लेकर जो ऐसी पंचरगी इतने सुंदर सुंदर पुष्प उसमें गुथे हुए और युगल प्रियल लाल दोनों रत्न सिंहासन पर विराजित हैं और ये सखी सुंदर पुष्पों की माला को लेकर युगल के सन्निकट पहुंची तो दोनो की मति ललचाई लाल जी कहते हैं अरी नाभा सखी शीघ्र अति शीघ्र यह माला मेरे कंठ में धारण करा दे।
हमारे समक्ष रखो हम निश्चित ही तुम्हारी समस्या का समाधान करेंगे तब श्री नाभा सखी ने कहा हे प्रिय लाल हे किशोरी जी पहले तो आप हमको यह बताइए कि आप दोहे या एक है दोनों युगल ने एक दूसरे की ओर निहारा और बनो मुस्कराये और समझ गए राखी ने बड़ी चतुराई के साथ इस समस्या का समाधान कर दिया दोनों युगल एक साथ बोले अरी सखी हम दो नहीं हम तो एक प्राण दो देह है वस्तुत: तो हम एक ही हैं।