चंडीगढ़। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, रमजान का महीना चांद के दर्शन पर निर्भर करता है। वर्ष 2025 में, रमजान का पवित्र महीना 28 फरवरी 2025 से शुरू हो सकता है। इसके बाद, 1 मार्च 2025 को पहला रोजा रखा जाएगा। रमजान का महीना चांद के दिखने के साथ शुरू होता है और ईद-उल-फितर का त्योहार भी चांद देखने के बाद ही मनाया जाता है। रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है, जिसे मुस्लिम समुदाय अत्यंत पाक महीना मानता है। इस महीने में 30 दिनों के रोजा रखा जाता है उसके बाद चांद देखकर ईद का त्योहार मनाया जाता है, जिसे ईद-उल-फितर या मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है।
रमजान में है जकात का महत्व
रमजान के महीने में सदका देना अत्यंत महत्वपूर्ण और आवश्यक माना जाता है। इस्लाम यह केवल एक धार्मिक दायित्व नहीं है, बल्कि यह समाज सेवा और मानवता के प्रति एक गहरा संदेश भी प्रदान करता है। इस दान के माध्यम से जरूरतमंदों की सहायता की जाती है और समाज में समानता और सद्भावना का प्रचार किया जाता है। इसलिए, रमजान के इस पवित्र महीने में जकात देना अनिवार्य है, ताकि अल्लाह की मेहर लोगों पर बरसे और समाज में खुशहाली बनी रहे, साथ ही गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता की जा सके।
जकात क्या है?
जकात इस्लाम में एक अनिवार्य दान के तौर पर माना जाता है, जिसे आर्थिक रूप से सक्षम लोगों द्वारा देना आवश्यक होता है। यह उनकी मेहनत से अर्जित संपत्ति का एक हिस्सा होता है। जकात देने का का मुख्य उद्देश्य समाज में आर्थिक दूरियों को कम करना और जरूरतमंदों की सहायता करना है। यह दान गरीबों, विधवाओं, अनाथों, और असहाय व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है।