चंडीगढ़ | हरियाणा विधानसभा चुनावों से ठीक पहले विपक्षी दल कांग्रेस की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। विधानसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवार घोषित करने के साथ पहले ही गुटबाजी और अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस पार्टी के लिए नई समस्या खड़ी हो गई है।
दरअसल कांग्रेस की ओर से प्रत्याशियों की सूची जारी होते ही टिकट प्राप्त न कर पाने वाले कद्दावर नेता अपने कार्यकर्ताओं सहित पार्टी से एक के बाद एक त्यागपत्र दे रहे हैं, जिससे पार्टी कमजोर पड़ने लगी है। पार्टी में आंतरिक असंतोष और बगावत की स्थिति इस हद तक खराब है कि पार्टी के कई नेताओं ने टिकट न मिलने पर अपनी ही पार्टी के विरुद्ध निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।
रेसलर विनेश फोगाट को भी वहाँ के स्थानीय उम्मीदवारों का विरोध झेलना पड़ रहा
कांग्रेस ने संभावित बगावत को मद्देनजर रखते हुए पहले से ही रक्षात्मक रवैया अपनाना शुरू कर दिया था। इसी कारण से उम्मीदवारों के नामों की सूचियों को दोपहर 3 बजे, रात 2 बजे और सुबह 7 बजे जैसे बेतरतीब समय पर जारी किया गया, जिससे असन्तुष्ट और नाराज उम्मीदवारों को साधने का समय मिल सके। हालांकि यह दांव काम करता नहीं दिख रहा है। यहाँ तक कि कांग्रेस द्वारा बहुचर्चित जुलाना सीट पर रेसलर विनेश फोगाट को प्रत्याशी बनाने के फैसले को भी वहाँ के स्थानीय उम्मीदवारों का विरोध झेलना पड़ रहा है।
बगावतों के फेर में उलझी कांग्रेस, भाजपा आलाकमान ने कराई नाराज नेताओं की घर वापसी
स्थानीय उम्मीदवारों का तर्क है कि जुलाना सीट पर पहले से ही 88 कर्मठ और मेहनती स्थानीय उम्मीदवार होने के बाद भी पार्टी ने पैराशूट उम्मीदवार उतार दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन उम्मीदवारों को समर्थन विनेश फोगाट किस प्रकार प्राप्त कर पायेंगी।
बगावत की आशंका से देर से जारी की गई सूची
कांग्रेस पार्टी को प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों के लिए 3000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए थे। ऐसे में पार्टी आलाकमान को पहले से ही बगावत का अंदेशा था, इसी कारण से प्रत्याशियों की सूची जारी करने में कांग्रेस की ओर से लगातार देरी की जा रही थी और उम्मीदवारों का ऐलान एक साथ न करके, छोटी-छोटी सूचियां जारी हो रही थीं।
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इस रणनीति के पीछे मकसद यह था कि टिकट जारी करने के बाद बागियों को कम समय मिल सके और पार्टी के नेता पार्टी छोड़कर निर्दलीय नामांकन न कर सकें। हालांकि स्थिति पर नियंत्रण पाने की सारी कोशिशें नाकामयाब ही साबित हो रही हैं, क्योंकि टिकट न मिलने के कारण अब तक कांग्रेस को छोड़ कर जा चुके नेताओं का आंकड़ा दहाई के पार जा चुका है, और अभी भी इस संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
कई बड़े नेताओं ने किया निर्दलीय नामांकन
टिकट न मिलने के बाद कांग्रेस के अपने नेता ही उसके लिए सबसे बड़ी मुसीबत का सबब बन गए हैं। अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों के कई बड़े और कद्दावर नेताओं ने कांग्रेस पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। इन बागी नेताओं में विजय जैन, जितेंद्र कुमार भारद्वाज, उपेन्द्र कौर अहलूवालिया, शारदा राठौर, ललित नागर, सतबीर रातेरा और चित्रा सरवारा जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
दूसरी ओर भाजपा ने नाराज नेताओं को साधा
एक ओर जहां कांग्रेस अपने ही नेताओं की बगावत से जूझ रही है, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने टिकट न मिलने पर नाराजगी जाहिर करने वाले अपने लगभग सभी बड़े नेताओं को एक बार फिर से मना कर अपने पाले को और मजबूत बना लिया है। पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता रामबिलास शर्मा,बड़खल विधायक सीमा त्रिखा, पूर्व विधायक नरेश कौशिक, पूर्व पार्षद लोकेश नागरू और पूर्व विधायक चौधरी राव बहादुर सिंह ने पार्टी के आलाकमान के प्रयासों के बाद सभी गिले-शिकवे भुलाकर प्रदेश में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनाने के लिए पूरा जोर लगा देने का प्रण लिया है। भाजपा के संगठन और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की एकजुटता ने उसको आपसी संघर्ष में नहीं पड़ने दिया, जिसके परिणाम स्वरूप अब पार्टी पूरी मजबूती के साथ विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने में जुट गई है। जहां एक ओर भाजपा ने संगठित होकर प्रचार अभियान को तेज करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अभी भी बिखरती हुई नजर आ रही है। हालांकि आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस किस प्रकार अपनी इस खेमेबाजी और भीतरी कलह से पार पा सकती है।