चंडीगढ़। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आरोप लगाया कि प्रदेश में पहली बारिश में ही जल निकासी के प्रबंध बह गए। जल निकासी ठप होने से न केवल निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है, बल्कि पूरे प्रदेश में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और कई अन्य जिलों में बरसाती नदियों में जल स्तर बढ़ने से खेत जलमग्न हो गए हैं। इसके साथ ही गांव से लेकर शहरों तक जलनिकासी की पुख्ता व्यवस्था न होने से फसल, संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है।
जलभराव की समस्या से निपटने के लिए नदियों के तटबंध और नालों की समय से सफाई, मरम्मत हो
राज्य के अनेक जिलों में चरमराई जलनिकासी व्यवस्था के कारण खेतों, गलियों, सड़कों और कालोनियों में लोगों को भारी जलभराव का सामना करना पड़ रहा है। कई कालोनियों, बाजारों और सार्वजनिक स्थलों में जल भराव का सामना करना पड़ रहा है। सरकार सुनिश्चित करे कि जलभराव वाले निचले इलाकों में पर्याप्त संख्या में पम्प, बिजली मोटर, बिजली कनेक्शन आदि की व्यवस्था हो। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि शहरी इलाकों में बरसाती जलभराव से सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। प्रदेशभर की सड़कें तो पहले से ही जर्जर थीं, बरसात के कारणत उनकी हालत और ज्यादा खराब हो चुकी है।
मारकंडा नदी में आए उफान से सैकड़ों एकड़ फसल तबाह हो गई है। प्रदेश के अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, रोहतक, जींद, हिसार, सिरसा, भिवानी, यमुनानगर, फतेहाबाद जैसे जिलों में बारिश, नदियों में उफान के चलते कई जगह खेतों में पानी भर गया है, जिससे फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं। बारिश का पानी खेतों में भरने से धान, कपास, मूंग, बाजरा, सब्ज़ियों और अन्य खरीफ फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है।