नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट ने महिलाओं की गिरफ्तारी को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले महिलाओं को गिरफ्तार करने पर कानूनी प्रतिबंध एक प्रकार से निर्देश के रूप में है, लेकिन अनिवार्य नहीं हैं।
क्या बोले जज?
न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन और न्यायमूर्ति एम जोतिरामन की खंडपीठ ने कहा कि यह प्रावधान कानून प्रवर्तन के लिए एक चेतावनी उपाय की तरह है, लेकिन इसका पालन न करने पर गिरफ्तारी अवैध नहीं हो जाती। हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर अधिकारी निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करता है, तो उसे उसकी उचित वजह बतानी होगी।
इस प्रक्रिया से रात में हो सकती गिरफ्तारी
हाईकोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि कानून असाधारण स्थितियों को छोड़कर रात के समय महिलाओं की गिरफ्तारी पर रोक लगाता है। ऐसे मामलों में, क्षेत्राधिकार वाले मजिस्ट्रेट से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है।
अदालत ने कहा कि प्रावधान यह परिभाषित नहीं करता है कि असाधारण स्थिति क्या होती है। "सलमा बनाम राज्य" के मामले का हवाला देते हुए, अदालत ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने पहले महिलाओं की गिरफ्तारी के संबंध में दिशा-निर्देश तैयार किए थे। हालांकि, खंडपीठ ने पाया कि कानून प्रवर्तन अधिकारियों को स्पष्टता प्रदान करने में ये दिशा-निर्देश अपर्याप्त हैं।