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शनि ने किया राशि परिवर्तन, कुप्रभावों से बचने के लिए समझें प्रकृति के इशारे

Updated on Saturday, October 28, 2017 07:11 AM IST

चंडीगढ़ ,27 अक्तूबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ): शनिदेव गुरुवार दिनांक 26.10.17 को शाम 18:11 ओर वृश्चिक से धनु में प्रवेश कर गए हैं तथा शुक्रवार दी॰ 24.01.20 दोपहर 12:11 तक धनु में रहेंगे। शनि की कुल दशा 19 वर्ष होती है व इसके अलावा साढ़ेसाती तथा दो ढैय्या का समय जोड़ा जाए तो शनि हर किसी को लगभग 31 साल तक प्रभावित करता है। शनि 30 वर्ष में उसी राशि में पुन: लौटता है। इसलिए किसी के जीवन में तीन से अधिक बार साढ़ेसाती नहीं लगती। अमूमन व्यक्ति तीसरी साढ़ेसाती में मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। शनि शुक्र की राशि तुला में शनि उच्चस्थ व मंगल की राशि मेष में नीचस्थ होते हैं। जिस भाव में बैठते हैं उसका भला करते हैं परंतु तीसरी, सातवीं व दसवीं दृष्टि से अनिष्टता देते हैं। शनि को नवग्रहों में न्यायाधीश कहा गया है जो अनुचित कार्य करने वालों को दंड देता है। शनि सूर्य पुत्र हैं परंतु जब कुंडली में यह दोनों ग्रह, एक ही भाव में हों या परस्पर दृष्टि संबंध हो तो अनिष्ट फल देते हैं। शनि राजा को रंक व रंक को भी राजा बना देता है अर्थात शनि परम शत्रु व परम मित्र भी है।


रोग, शोक और संकटों को दूर करने वाले शनि देव का राशि परिवर्तन सभी राशि के जातकों को प्रभावित करेगा। ढैया और साढ़ेसाती से पीड़ित राशियों के जातकों के जीवन में हलचल मच सकती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती के समय न्याय प्रिय ग्रह शनि व्यक्ति को उसके पूर्व जन्म व वर्तमान में किए गए शुभ और अशुभ कर्मों का फल देते हैं। इसलिए कुछ लोगों का यह समय बहुत ही सुखदायी तो कुछ के लिए बहुत ही कष्टदायी होता है। आमतौर पर शनि एक राशि पर ढाई वर्ष तक रहते हैं। जिस राशि में शनि प्रवेश करते हैं उस राशि में व उससे पहले एवं बाद की राशि वाले व्यक्ति को अधिक प्रभावित करते हैं। शनि की इस स्थिति को साढ़ेसाती कहा जाता है। किसी व्यक्ति की राशि से शनि जब चौथे या आठवें घर में होते हैं तो उनकी ढैया होती है। साढ़ेसाती की तरह ढैया भी कष्टकारी होती है। ढैया कुल ढाई साल की होती है। प्रकृति भी शनि के शुभाशुभ प्रभाव के लक्षण व्यक्ति को जरूर देती है जिससे की व्यक्ति अपने कर्म सुधारे और शनि के कुप्रभावों से बच सके।

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