यह पहली बार ही ऐसा होगा कि पितृ पक्ष में, इन दिनों तर्पण कराने के लिए कर्मकांडी उपलब्ध न हों, भोजन ग्रहण करने के लिए के लिए बहुत कम ब्राहम्ण हामी भरें और श्राद्ध कर्म में अपने नजदीकी संबंधी तक सम्मिलित न हों। हिंदू धर्म सदा से ही समय स्थान व स्थिति अनुसार ढाल लेता है इसी लिए सनातन कहलाता है।
बहनें भाई को लाल रोली या केसर या कुमकुम से तिलक करें , ज्योति से आरती उतारते हुए उसकी दीर्घायु की कामना करे और मिठाई खिलाए। और राखी बांधते हुए ईश्वर से उसकी लंबी आयु की और रक्षा की कामना करें । भाई उपहार स्वरुप बहन को शगुन या उपहार अवश्य दे। पुलिस, सैनिक बल तथा सैनिकों को भी रक्षार्थ राखी बांधी जाती है।
आधुनिक युग में भाई - बहन एक दूसरे की पूर्ण सुरक्षा का भी ख्याल रखें । नारी सम्मान हो। समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों में कमी आएगी। भाई-बहन को स्नेह, प्रेम ,कर्तव्य एवं दायित्व में बांधने वाला राखी का पर्व जब भाई का मुंह मीठा करा के और कलाई पर धागा बांध कर मनाया जाता है तो रिश्तों की खुशबू सदा के लिए बनी रहती है और संबंधों की डोर में मिठास का एहसास आजीवन परिलक्षित होता रहता है।
सावन के अंतिम सोमवार को रक्षाबंधन का पर्व कई शुभ योग व नक्षत्रों के संयोग में 3 अगस्त को मनाया जाएगा।29 साल बाद श्रावण पूर्णिमा पर सावन के अंतिम सोमवार को रक्षाबंधन का पर्व कई शुभ योग व नक्षत्रों के संयोग में 3 अगस्त को मनाया जाएगा। इस बार भद्रा और ग्रहण का भी रक्षाबंधन पर कोई साया नहीं है।
अक्सर राखी बांधने केमुहूर्त में हर बार ,भद्रा के समय को लेकर असमंजस बना रहता है परंतु इस बार राखीबांधने के लिए पूरा दिन है , भद्रा काल की बजाय कोरोना काल का ध्यान रखना होगा। जहां तक संभव हो, वीडियो कॉल आदि से संबंधियों से संपर्क करें।
हिंदू धर्म में हर व्रत, पर्व और त्यौहार का पौराणिक महत्व होता है और उससे जुड़ी कोई रोचक कहानी व कथा होती है। हरियाली तीज उत्सव को भी भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या और 108वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कहा जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
भारत में वसंत मास की तरह श्रावण मास का भी संपूर्ण जनमानस को बेसब्री से इंतजार रहता है जब चारों ओर मानसून के दौरान प्रकृति के साथ साथ तथा मानस पटल पर भी हरियाली छाने लगती है। श्रावण कृष्ण प्रतिपदा , 5 जुलाई की प्रातः 10 बजकर 15 मिनट पर आरंभ होकर सोमवार की सुबह 9ः 25 तक रहेगी, इसी लिए सावन का आरंभ 5 की बजाय 6 जुलाई से हो रहा है।