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बदलती भू-आर्थिकी व राजनीतिक हालात में ईयू से साझेदारी का महत्व कई गुना बढ़ा : मोदी

Updated on Saturday, March 01, 2025 10:56 AM IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय आयोग की प्रेसिडेंट उर्सला वोन लेयेन ने दोनों पक्षों के बीच कारोबार एवं आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) को लेकर जारी किंतु-परंतु को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। दोनों नेताओं ने इस बारे में प्रतिबद्धता जताते हुए अपने संबंधित मंत्रालयों को निर्देश दिया कि दोनों पक्षों के हितों के मुताबिक भारत-ईयू व्यापार समझौते पर इस वर्ष के अंत तक मुहर लगाई जाए।

भारत ने ब्रिटेन के साथ एफटीए पर वार्ता की नए सिरे से शुरुआत की

सोमवार को ही भारत ने ब्रिटेन के साथ एफटीए पर वार्ता की नए सिरे से शुरुआत की है, जिसे 2025 में ही अंतिम रूप देने का लक्ष्य है। साफ है कि जब कई देश अपनी इकोनमी बंद करने में जुटे हैं और दूसरे देशों पर आयात शुल्क लगाकर वैश्वीकरण की राह में अड़ंगे डाल रहे हैं, तब भारत एफटीए को लेकर मुखर है। संभवत: यही कारण है कि प्रेसिडेंट उर्सला ने भारत को मौजूदा वैश्विक अस्थिरता में निश्चतता का स्तंभ करार दिया है।

प्रेसिडेंट उर्सला के साथ यूरोपीय संघ (ईयू) के 27 देशों में से 22 देशों के आयुक्त भारत दौरे पर आए हैं। पहली बार ईयू का इतना बड़ा दल किसी दूसरे देश की यात्रा पर आया है। उर्सला की तरफ से यूरोपीय आयोग की सत्ता दोबारा संभालने के बाद पहली बार वह विदेश दौरे पर अपनी टीम के साथ निकली हैं।

यूरोपीय संघ भारत के बीच अभी 120 अरब यूरो का द्विपक्षीय कारोबार

उन्होंने और प्रधानमंत्री मोदी ने इस यात्रा को दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ होते संबंधों के उदाहरण के तौर पर पेश किया। मोदी ने एक पारस्परिक लाभकारी एफटीए व निवेश सुरक्षा समझौते को संपन्न किए जाने को प्राथमिकता बताया, जबकि प्रेसिडेंट उर्सला ने इस समझौते को मौजूदा भूराजनीतिक माहौल को इस निर्णायक फैसले के पीछे का कारण बताया।

यूरोपीय संघ व भारत के बीच अभी 120 अरब यूरो का द्विपक्षीय कारोबार होता है जो एफटीए के बाद कई गुना बढ़ सकता है। यह पहली बार है कि एफटीए करने का सीधा निर्देश दोनों पक्षों के शीर्ष नेताओं ने दिया है।

जापान एवं द. कोरिया जैसे रक्षा संबंध चाहता है ईयू

भारत और ईयू के बीच बैठक में पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद और चीन की तरफ से दूसरे देशों की संप्रभुता का उल्लंघन का मुद्दा भी उठा। वैसे उक्त दोनों देशों का नाम नहीं लिया गया। प्रेसिडेंट उर्सला ने कहा, 'हम भारत के साथ रक्षा व सुरक्षा सहयोग को प्रगाढ़ करना चाहते हैं। मौजूदा अस्थिर विश्व में भारत निश्चतता का स्तंभ है।

हमें मालूम है कि अधिनायकवादी शक्तियां मजबूत हो रही हैं, सीमाओं का उल्लंघन कर रही हैं और समुद्र में शांति के लिए खतरा बन गई हैं। ऐसे में हमें जमीन, समुद्र व अंतरिक्ष में सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने की जरूरत है।' उन्होंने भारत के साथ वैसे ही रक्षा संबंध बनाने की बात कही, जैसे यूरोपीय देशों के जापान व दक्षिण कोरिया से हैं।

भारत-ईयू स्वाभाविक रणनीतिक साझीदार : मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'आज विश्व अभूतपूर्व बदलाव के दौर से गु•जर रहा है। भू-आर्थिकी एवं राजनीतिक परिस्थितियों में तेज गति से बदलाव आ रहे हैं। पुराने समीकरण टूट रहे हैं। हमारी साझेदारी का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। लोकतांत्रिक मूल्यों, रणनीतिक स्वायत्ता व कानून आधारित वैश्विक व्यवस्था में साझा विश्वास भारत व ईयू को जोड़ता है। एक तरह से हम स्वाभाविक रणनीतिक साझेदार हैं।'

आठ महत्वपूर्ण कदम उठाने पर सहमति

ईयू के आयुक्तों के साथ पिछले दो दिनों में मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्रियों की अलग-अलग कई स्तरों पर बात हुई है। शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद एक लीडर्स स्टेटमेंट जारी किया गया जो एक तरह से भारत-ईयू के भावी संबंधों का रोडमैप है। इसमें आठ महत्वपूर्ण कदम उठाने पर सहमति बनी है।

एफटीए को सबसे ऊपर रखा गया है। भारत से मध्य पूर्व होते हुए यूरोपीय देशों तक ढांचागत नेटवर्क बनाने की परियोजना (आइएमईसी) पर सभी साझीदारों से बात करना भी शामिल है। दोनों पक्ष एशिया प्रशांत और अफ्रीकी देशों में मिलकर सहयोग करेंगे। स्वच्छ ऊर्जा और समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग भी इसमें शामिल है।

हाइड्रोजन बस से ले जाए गए ईयू के आयुक्त

यूरोपीय आयोग के आयुक्त शुक्रवार को हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रौद्योगिकी से संचालित एक बस में सवार होकर दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस पहुंचे। हैदराबाद हाउस में ही प्रधानमंत्री मोदी और प्रेसिडेंट उर्सला के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की द्विपक्षीय बैठक हुई।

भारत-ईयू में बढ़ता रक्षा सहयोग पारस्परिक विश्वास का प्रतीक : मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''हमने 2025 से आगे की अवधि के लिए भारत-ईयू साझेदारी के लिए एक साहसिक और महत्वाकांक्षी रोडमैप बनाने का फैसला किया है। इसे अगले भारत-ईयू शिखर सम्मेलन के दौरान लांच किया जाएगा।''

भारत इस वर्ष के अंत में शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है। प्रधानमंत्री ने रक्षा और सुरक्षा पर बढ़ते भारत-ईयू सहयोग को पारस्परिक विश्वास का प्रतीक बताया और कहा कि दोनों पक्ष साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में सहयोग बढ़ाएंगे। कनेक्टिविटी के बारे में मोदी ने कहा कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आइएमईईसी) को आगे बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

मोदी ने ईयू के फैसले का स्वागत किया

उन्होंने विश्वास जताया कि आइएमईईसी वैश्विक वाणिज्य, सतत विकास और समृद्धि को आगे बढ़ाने का इंजन साबित होगा। मोदी ने भारत समर्थित 'इंडो पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव' में शामिल होने के ईयू के फैसले का स्वागत किया। वहीं, उर्सला ने हिंद महासागर को वैश्विक व्यापार के लिए जीवन रेखा बताया और कहा कि इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है।

पश्चिम एशिया यूक्रेन पर भी चर्चा

मोदी और उर्सला ने पश्चिम एशिया की स्थिति और यूक्रेन युद्ध पर भी विचार-विमर्श किया। बैठक के बाद बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और क्षेत्रीय अखंडता व संप्रभुता के सम्मान के आधार पर यूक्रेन में न्यायपूर्ण व स्थायी शांति के लिए समर्थन व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप मान्यता प्राप्त सीमाओं में शांति व सुरक्षा के साथ इजरायल एवं फलस्तीन के साथ रहने और द्वि-राष्ट्र समाधान के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई।

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