चंडीगढ़ | हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व होता है। जब भी ये व्रत रविवार को पड़ता है तो इसे रवि प्रदोष व्रत भी कहते हैं। प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है। धार्मिक है कि प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। कल यानी 15 सितंबर को रवि प्रदोष व्रत है। आइए जानें इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है ?
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ 15 सितंबर शाम 06:12 पर होगा। इस दिन प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 06:28 से रात्रि 08:45 के बीच रहेगा।
रवि प्रदोष व्रत पर कैसे करें पूजा ?
- सूर्यास्त के बाद स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- मंदिर को साफ करें और भगवान शिव की मूर्ति रखें।
- भगवान शिव पर गंगा जल, दूध, पंचामृत, चंदन, फूल, बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ाएं।
- दीपक और धूप जलाएं
- प्रदोष व्रत कथा और भगवान शिव के मंत्र का जाप करें।
- भगवान शिव को भोजन कराएं।
- आरती करके अपना व्रत समाप्त करें।
रवि प्रदोष का महत्व
- पापों का नाश :रवि प्रदोष के व्रत से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
- ग्रह शांति:इससे ग्रह शीघ्र शांत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति :इस व्रत से भगवान शिव भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
- अकाल मृत्यु से रक्षा :यह व्रत अकाल मृत्यु से रक्षा करता है।
- पारिवारिक सुख और शांति:इससे परिवार में सुख, शांति और खुशहाली आती है।