नई दिल्ली। अत्याधुनिक काल में सबसे बड़े ट्रेड वॉर की शुरुआत मंगलवार को तकरीबन हो गई है। अमेरिकी प्रशासन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा पर अमल करते हुए मंगलवार को कनाडा, मैक्सिको और चीन से आयात होने वाले कई उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है।
अमेरिकी समयानुसार मंगलवार को कनाडा और मैक्सिको से स्टील, अल्यूमिनियम समेत कई धातुओं व अन्य उत्पादों के आयातों पर 25 फीसद का शुल्क लगेगा जबकि वहां से ऊर्जा उत्पादों के आयात पर 10 फीसद का टैक्स लगेगा।
कारोबारी युद्ध की नौबत
इसके जबाव में कनाडा ने भी अमेरिका से होने वाले तकरीबन 155 डॉलर के आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है। यह पहला मौका है जब किसी नाटो के दो सदस्य देशों के बीच कारोबारी युद्ध की नौबत आई है। पिछले हफ्ते वॉशिंगटन में राष्ट्रपति ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की के बीच सार्वजनिक बहसबाजी के बाद अमेरिका व नाटो के अन्य सदस्यों के बीच पहले से ही तलवॉरें खींची हुई हैं।
कैसा होगा ट्रेड वॉर का असर
- ट्रेड वॉर की शुरुआत तनाव में और जहर घोलने का काम कर सकता है। ट्रेड वॉर सिर्फ नाटो तक सीमित नहीं है। चीन से होने वाले हर आयात पर भी प्रशासन ने 20 फीसद टैक्स लगाने की घोषणा की है।
- इसके बाद चीन ने अमेरिका से आयातित कई तरह के कृषि उत्पादों (चिकन, सोया, मक्का, बीफ) आदि पर 15 फीसद का अतिरिक्त शुल्क लगाने का ऐलान किया है।
- चीन ने वर्ष 2023 में अमेरिका से 33 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात किया था। इस पर असर पड़ना तय है। लेकिन इस कारोबारी युद्ध में ज्यादा घाटा चीन को होने की संभावना विशेषज्ञ मान रहे हैं।
उत्पादों पर अंकुश लगाने की कोशिश
वर्ष 2024 में चीन का अमेरिका को कुल निर्यात 437 अरब डॉलर का रहा था। अमेरिका व चीन के बीच प्रौद्योगिकी व कुछ दूसरे क्षेत्रों में कभी-कभार एक दूसरे की कंपनियों या उनके उत्पादों पर अंकुश लगाने की कोशिश हुई है लेकिन कृषि व दूसरे उत्पादों के निर्यात पर नीतिगत तरीके से शुल्क आयद नहीं किया गया है।
एक-दूसरे के हितों को नुकसान
वैसे देखा जाए तो जी-20 संगठन (दुनिया के शीर्ष 20 अमीर देश) के चार देशों (अमेरिका, चीन, मैक्सिको और कनाडा) के बीच पहली बार एक दूसरे के आयात को महंगा करने के लिए सीधे शुल्क बढ़ाने का कदम उठाया गया है। कारोबारी स्तर पर एक दूसरे के हितों को नुकसान पहुंचाने का काम तब शुरू हुआ है जब भूराजनैतिक तौर पर काफी अस्थिरता है।
पश्चिम एशिया में हालात में काफी तनावपूर्ण
यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर अमेरिका की यूरोपीय देशों के साथ रिश्ते तलहटी में पहुंच चुके हैं। अमेरिका और रूस के एक दूसरे के करीब आने के संकेत हैं। पश्चिम एशिया में हालात में काफी तनावपूर्ण पहले से हैं। वैश्विक इकोनॉमी की स्थिति भी काफी नाजुक है।