अब्दासा | सुबह करीब 9.40 बजे, जैसे ही अलार्म बजा रापर गढ़ गांव में शांति छा गई और पिंगलेश्वर समुद्रतट के किनारे बसे इस गांव में, सुनामी से बचाव के लिए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाने लगा। इस मॉक-इवैक्यूएशन के साथ ही गांव ‘सुनामी-रेडी’ प्रमाणित होने के एक कदम और करीब पहुंच गया।
हिंद महासागर में 2004 में आई सुनामी के कहर की यादें आज भी ताजा हैं। विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के मौके पर गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (GSDMA), कच्छ जिला प्रशासन, INCOIS, रिलायंस फाउंडेशन और अन्य एजेंसियों ने कच्छ के रापर गढ़ गांव में मेगा मॉक सुनामी ड्रिल का आयोजन किया। यह ड्रिल, यूनेस्को के सुनामी-रेडी कार्यक्रम के अनुरूप, गांव को सुनामी से बचाव के लिए तैयार करने का एक प्रयास था।
रापर गढ़ में चक्रवात, भूकंप और सुनामी आने की आशंका बनी रहती है। हाल के दिनों में यहां भारी बारिश भी हुई है। भारत भर में आपदा प्रबंधन के प्रयासों के तहत, रिलायंस फाउंडेशन ने आपदा जोखिम को कम करने और पर्यावरण को बचाने के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, स्थानीय समुदायों सहित गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर काम किया है। रिलायंस फाउंडेशन ने गांवों के आपदा-प्रबंधन का आकलन करने के साथ ग्राम आपदा प्रबंधन योजना (वीडीएमपी) को मजबूत करने में भी मदद की है। और इसके लिए जागरूकता अभियान और विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया है।
सुनामी की तैयारियों के अभ्यास के दौरान, पिंगलेश्वर समुद्रतट के पास रहने वाले ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। इसके लिए सुबह GSDMA के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) द्वारा एक कल्पित चेतावनी दी गई। चेतावनी में बताया गया कि इंडोनेशिया के सुमात्रा के पास 9.03 तीव्रता का भूकंप आया है, जिससे भारत के पश्चिमी तट पर अगले 3 घंटों के भीतर सुनामी आने की आशंका है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए आसानी से दिखाई देने वाले निकासी मार्ग मानचित्र प्रमुख स्थानों पर लगाए गए थे। इन मानचित्रों ने निवासियों को समय पर और योजनाबद्ध तरीके से शेल्टर्स तक पहुँचने में मदद की। इस अभियान का कमांड-सेंटर गाँव के पंचायत कार्यालय के पास बनाया गया था।
एक तरफ पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार थे। दूसरी ओर मरीन पुलिस और मत्स्य विभाग ने मछुआरों को समुद्र में जाने से रोका। जिला शिक्षा अधिकारियों और एएनएम ने सुनिश्चित किया कि बच्चों को सुरक्षित रूप से निकाला जा सके। ड्रिल के दौरान गांव में मौजूद 65 बच्चों और 25 बुजुर्गों सहित कुल 290 लोगों को निकाला गया।
मॉक ड्रिल का उद्देश्य विभिन्न सरकारी विभागों, समुदाय और स्थानीय निवासियों के बीच समन्वय को मजबूत करना और गांव की आपदा प्रबंधन योजना में सुधार करना था। आपदा प्रबंधन का व्यावहारिक क्रिर्यान्वयन और समय समय पर किए गए अभ्यासों के कारण, स्थानीय नागरिक अब वास्तविक आपदाओं में बेहतर प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार हैं।
रिलायंस फाउंडेशन, कच्छ के कई गांवों में समुदायों, सरकारी विभागों और नोडल एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि आपदा की बड़ी घटनाओं से बचाव की जोरदार तैयारियां की जा सके, प्रतिक्रिया क्षमताओं को और मजबूत किया जा सके, यह सुनिश्चित किया जा सके कि जीवन रक्षक सूचनाएँ सभी तक पहुंचे, साथ ही आजीविका को जलवायु-अनुकूल बनाया जा सके। रिलायंस फाउंडेशन ने पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न आपदाओं के दौरान 2 करोड़ 10 लाख से अधिक लोगों की मदद की है। कमजोर समुदायों को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर रिलायंस फाउंडेशन ने भारत के आठ राज्यों में आपदा प्रबंधन को मजबूत करने का प्रयास किया है।