हमारे खान-पान और बदलती जीवन शैली में पंचकर्म का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। पहले समय में लोग शरीरिक काम ज्यादा करते थे लेकिन अब मशीनी युग में घंटों कुर्सी पर कंप्यूटर के आगे बैठने से शरीर की बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में पंचकर्म का आपके जीवन में क्या महत्व है इसके बारे में बता रहे हैं चंडीगढ़ के योग साधक संदीप कुमार।
पंचकर्म क्या है।
आयुर्वेद विज्ञान आपको इस बात का संकेत देता है कि अधिक तनाव आपके आंत की नली या जठरांत्र मार्ग के लिए बहुत अधिक नुकसानदायक होता है। जठरांत्र मार्ग में असंतुलन की वजह से सूजन होता है और पाचन क्रिया भी प्रभावित होती है। सूजन और पाचन क्रिया सही न होने की वजह से आपके शरीर में अपशिष्ट पदार्थ जमा होने लगता है और शरीर बीमारियों का शिकार होने लगता है। इसके साथ ही साथ कई प्रकार की बीमारियां भी जन्म लेती हैं।
पंचकर्म के माध्यम से आपके शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलता है और आपका शरीर अधिक सक्रिय हो जाता है। विषाक्त पदार्थ बाहर निकलने और शरीर अधिक सक्रिय होने की वजह से आप अधिक उर्जावान महसूस करते हैं और मानसिक स्तर पर भी सुधार होता है। आपके पाचन क्रिया को मजबूत बना कर पंचकर्म प्राकृतिक रूप से आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है।
पंचकर्म आयुर्वेदिक प्रक्रिया के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंग जैसे फेफड़े, मू्त्राशय, पसीने की ग्रंथि, पेट और आंत से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है।
ध्यान रहे कि पंचकर्म प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है। यह व्यक्ति के शरीर, उम्र, ताकत और रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है। इसलिए पंचर्कम आयुर्वेदिक प्रक्रिया को अपनाने से पहले प्रशिक्षित चिकित्सक से सलाह लें और इसे सही तरीके से करें।
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पंचकर्म चिकित्सा
पंचकर्म चिकित्सा के पांच चरण होते हैं। ये पांच चरण इस प्रकार हैं -
1. पंचकर्म चिकित्सा का पहला चरण: वमन -
इस प्रक्रिया में आपको उल्टी कराया जाता है। आपके शरीर को कुछ दिनों तक आंतरिक और बाहरी रूप से ऑयलेशन और फॉमेंटेशन प्रक्रिया से गुजरना होता है। इन दोनों प्रक्रिया को तब तक करना होता है, जब तक विषाक्त पदार्थ तरल रूप धारण न कर लें। इसके अलावा पूरा विषाक्त पदार्थ शरीर के ऊपरी भाग में इक_ा न हो जाए।
इसके बाद आपको उल्टी आने वाली दवा दी जाती है। उल्टी के माध्यम से आपके ऊतकों से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। जिन लोगों को कफ की समस्या होती है, उन लोगों के लिए वमन आयुर्वेदिक इलाज बहुत अधिक उपयोगी है। इसके साथ ही साथ अस्थमा और मोटापा के रोगियों के लिए यह बहुत काम का है।
2. पंचकर्म चिकित्सा का दूसरा चरण: विरेचन -
विरेचन मलत्याग की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में आंत से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में भी आपको ऑयलेशन और फॉमेंटेशन प्रक्रिया से गुजरना होता है। विरेचन प्रक्रिया में आपको जड़ी-बूटियां खिलाई जाती है, जो आपके आंत से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती हैं।
जिन लोगों के शरीर में पित्त अधिक बनता है, उन लोगों के लिए विरेचन प्रक्रिया बहुत अधिक लाभदायक साबित होती है। इसके साथ ही साथ पीलिया और कोलाइटिस के रोगियों के लिए यह बहुत उपयोगी है।
3. पंचकर्म चिकित्सा का तीसरा चरण:नस्य
नस्य प्रक्रिया में आपको नाक के माध्यम से औषधि दी जाती है, जो आपके सिर वाले भाग से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। इस प्रक्रिया के लिए आपके सिर और कंधों पर हल्का मालिश किया जाता है, जिससे नस्य पंचकर्म के लिए आप तैयार हो जाएं। इस प्रक्रिया में आपके नाक में एक ड्राप डाला जाता है, जो आपके सिर से अपशिष्ट पदार्थ को निकालने में मदद करता है। सिर से अपशिष्ट पदार्थ निकल जाने के बाद आपको माइग्रेन, सिरदर्द और बालों की समस्या से राहत मिलती है। नस्य प्रक्रिया, नाक और सिर से कफ को निकालने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
4. पंचकर्म चिकित्सा का चौथा चरण:अनुवासनावस्ती
अनुवासनावस्ती एक अद्वितीय आयुर्वेदिक उपाय है। इस प्रक्रिया में आपके शरीर से विषाक्त पदार्थ को निकालने के लिए कुछ तरल पेय पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। तेल, दूध और घी जैसे तरल खाद्य पदार्थों को आपके मलाशय में पहुंचाया जाता है। अनुवासनावस्ती पुरानी बीमारी को ठीक करने में बहुत उपयोगी है। अधिक वात वाले शरीर के लिए यह उपाय बहुत अच्छा माना जाता है। इसके साथ ही साथ यह गठिया, बवासीर और कब्ज के लिए रामबाण साबित होता है। अनुवासनावस्ती वात, पित्त और कफ तीनों दोष के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इस प्रक्रिया को पंचकर्म का आधार माना जाता है।
5. पंचकर्म चिकित्सा का पांचवा चरण:रक्तमोक्षण
रक्तमोक्षण में आपके शरीर के खराब खून को साफ किया जाता है। खराब खून की वजह से होने वाली बीमारियों से बचाने में रक्तमोक्षण प्रक्रिया बहुत अधिक उपयोगी है। इस प्रक्रिया में शरीर के किसी खास भाग या फिर पूरे शरीर के खराब खून को साफ किया जाता है।
संदीप कुमार