चंडीगढ़। शनि की ढैया, साढ़ेसाती, दशा, महादशी और वक्री चाल में शनिदेव जातक का खूब खर्चा करवाते हैं। यह ऐसा समय रहता है जबकि जातक के कर्मा का हिसाब किताब शुरु होता है। ढैया ढाई साल की, साढ़ेसाती साढ़े सात साल की और दशा 19 साल की होती है। इस समय कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है।
कुंभ राशि में शनि: 17 जनवरी 2023 को कुंभ राशि में प्रवेश किया था तभी से इसी राशि में है। शनि का राशि परिवर्तन 29 मार्च 2025 को होगा जहां पर ये मीन राशि में प्रवेश करेंगे और इस राशि में 2028 तक विराजमान रहेंगे। कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। आप पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव 3 जून 2027 तक रहेगा। हालांकि कुंभ राशि वालों को 23 फरवरी 2028 को शनि की साढ़ेसाती से निजात मिलेगी।
साढ़े साती के 3 चरण : कहते हैं कि शनि की साढ़ेसाती के पहले चरण में शनि जातक की आर्थिक स्थिति पर, दूसरे चरण में पारिवारिक जीवन और तीसरे चरण में सेहत पर सबसे ज्यादा असर डालता है। ढाई-ढाई साल के इन 3 चरणों में से दूसरा चरण सबसे भारी पड़ता है।
तीनों चरणों का असर इस तरह का होता है :
पहला चरण: कहते हैं कि इस चरण में जातक के मस्तक पर असर होता है और इसमें आर्थिक स्थिति एवं सेहत पर बुरा असर पड़ता है। चिंता और तनाव के साथ ही नींद से जुड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है। पति-पत्नी के बीच संबंधों पर बुरा असर पड़ता है।
दूसरा चरण: कहते हैं कि इस चरण में जातक को अपने जीवन में आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रिश्तेदार कष्ट देते हैं और जातक को परिवार से दूर लम्बी यात्राओं पर भी जाना पड़ सकता है। शारीरिक रोग के साथ ही मानसिक तनाव भी झेलना होता है। छोटे से कार्य को करने के लिए भी सामान्य से अधिक प्रयास करने होते हैं फिर भी सफलता की कोई गारंटी नहीं। परिवार, मित्र और रिश्तेदार सभी लोग उसका साथ छोड़ देते हैं।
तीसरा चरण: कहते हैं कि इस चरण में जातक की सुख और सुविधाओं का अंत हो जाता है। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाले हालात हो जाते हैं। नौकरी और व्यपार सब ठप हो जाता है। सेहत से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। संतान से वाद-विवाद बढ़ जाते हैं। संतान नहीं हो तो पिता से मतभेद बढ़ जाते हैं।
साढ़े साती से बचने के उपाय:
- कुत्ते, कौवे या गाय को रोटी खिलाते रहें।
- अंधे लोगों को समय समय पर खाना खिलाते रहें।
- शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष में दिया जलाते रहें।
- शनि मंदिर में शनि से जुड़ी वस्तुएं दान करते रहें।
- कम से कम 11 शनिवार को शनि मंदिर में छाया दान करें।
- साफाईकर्मी, मजदूर और विधवाओं को कुछ न कुछ दान देते रहें।
- हनुमान जी की शरण में रहें और नित्य हनुमान चालीसा पढ़ते रहें।
- शराब न पीएं, ब्याज का धंधा न करें और न ही झूठ बोलें। पराई महिला पर बुरी नजर न रखें। अपने कर्मों को
- शुद्ध बनाकर रखें।