भारतीय शास्त्रीय कलाओं में गुरू-शिष्य परम्परा का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसी परम्परा से जुड़ा पर्व है। गुरू- पूर्णिमा जिसमें सभी षिष्य अपने गुरू को नमन कर उनका आभार प्रकट करते हैं। गुरू-पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्राचीन कला केन्द्र द्वारा दो दिवसीय विशेष संगीत और नृत्य संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्र के सेक्टर 35 स्थित एम एल कौसर सभागार में सायं 6 :00 बजे से किया गया। इस कार्यक्रम में केंद्र में संगीत एवं नृत्य की शिक्षा प्राप्त कर रहे विभिन्न छात्रों ने अपनी कला एवं प्रतिभा का प्रदर्शन करके अपने गुरु के प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस कार्यक्रम में लगभग 40 बच्चों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम द्वारा छात्रों ने गुरू से प्राप्त संगीत कला की मंच प्रस्तुति देकर सही मायने में अपने गुरू का आभार प्रकट किया कार्यक्रम में अपने शिष्यों का हौंसला बढ़ाने के लिए गुरु शोभा कौसर , गुरु बृजमोहन गंगानी , गुरु योगेश शर्मा , सुश्री राखी , श्री प्रवेश कुमार ,डॉ शिम्पी कश्यप, श्री आविर्भाव वर्मा भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का आरम्भ आविर्भाव वर्मा के शिष्यों द्वारा किया गया जिस में कलाकारों ने तीन ताल में तबला वादन पेश किया। इसके उपरांत प्रवेश कुमार के शिष्यों द्वारा दोहे पेश किये गए जिसे दर्शकों ने सराहा। इसके उपरांत डॉ शिम्पी कश्यप की बांग्लादेश से आयी शिष्या शौरीन द्वारा राग दरबारी में एक खूबसूरत रचना पेश की गयी। इसके उपरांत बच्चों के समूह द्वारा एक भजन " साधो ऐसा ही गुरु भावे " प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम के अगले भाग में नृत्य की प्रस्तुतियां पेश की गयी जिस में केंद्र के प्रांगण में कत्थक सीख रहे शिष्य अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मनोरंजन किया और साथ ही केंद्र के विदेशों से आये छात्र ने भी अपनी कला प्रतिभा से दर्शकों की तालियां बटोरी। कार्यक्रम में सर्वप्रथम गुरु योगेश शर्मा शिष्य ने विष्णु वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की और तीन ताल में पारम्परिक कत्थक पेश किया। इसके बाद गुरु ब्रिज मोहन गंगानी की शिष्यों द्वारा विष्णु वंदना और तीन ताल में निबद्ध कत्थक पेश किया गया। कार्यक्रम के अगले भाग में गुरु शोभा कौसर की शिष्या ने कत्थक नृत्य पेश करके अपने गुरु का मान बढ़ाया। इसके उपरांत गुरु योगेश शर्मा के शिष्यत्व में विदेश से आये छात्रों लुनारा , रेवान एवं नाहियान ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मन जीत लिया । मात्र तीन वर्षों के अभ्यास और महारत भरे शिष्यत्व में इतनी नृत्य कुशलता को मंच पर दर्शा कर इन छात्रों ने स्वयं को एक काबिल शिष्य के रूप में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में राखी के शिष्यों ने अपनी प्रस्तुति में गुरु के प्रति अपना आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम के अंत में केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर ने सभी गुरुओं को बधाई देकर शिष्यों को प्रेरणा भरे शब्दों से प्रोत्साहन किया।