शिमला। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा एमएसएमई मंत्रालय के सहयोग से शिमला में आयोजित दो दिवसीय बौद्धिक संपदा अधिकार कार्यशाला बुधवार को संपन्न हो गई।
कार्यशाला के दूसरे दिन व्यावसायीकरण, लाइसेंसिंग और फ्रेंचाइज़िंग, वित्त पोषण और निवेश के लिए आईपी का लाभ उठाना, संयुक्त उद्यम और रणनीतिक गठबंधन और आईपीआर के प्रवर्तन जैसे विषयों पर चर्चा की गई। प्रतिभागियों के लिए आईपीआर हेल्पडेस्क का भी आयोजन किया गया।
पीएचडीसीसीआई व एमएसएमई मंत्रालय की दो दिवसीय राष्ट्रीय आईपी यात्रा कार्यशाला संपन्न
पीएचडीसीसीआई एमएसएमई समिति के सह अध्यक्ष डी पी गोयल ने अपने स्वागत भाषण में एमएसएमई, स्टार्ट अप और अपने नवाचारों को लॉन्च करने की योजना बना रहे युवा उद्यमियों से जुड़े प्रतिभागियों को जानकारी दी। उन्होंने व्यावसायीकरण के महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) को पंजीकृत करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कोई भी उत्पाद रातों-रात ब्रांड नहीं बन सकता, जब तक कि उसके विपणन के लिए निरंतर प्रयास न किए जाएं।
यूनाइटेड एंड यूनाइटेड के अभियोजन प्रमुख वसंत चंद्र ने अपने तकनीकी संबोधन में अपने उत्पाद के लिए उपयुक्त नाम चुनने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लाइसेंसिंग के माध्यम से, व्यवसाय गुणवत्ता और ब्रांड पहचान पर नियंत्रण बनाए रखते हुए अन्य कंपनियों को उत्पादन अधिकार प्रदान करके राजस्व उत्पन्न कर सकते हैं।
इस सत्र में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ. शमशेर एस कंवर, एसटीपीआई के अतिरिक्त निदेशक अब्बास मेहदी और एसटीपीआई के संयुक्त निदेशक सुनील अवस्थी भी शामिल हुए। पीएचडीसीसीआई के रेजिडेंट डायरेक्टर अनिल सौंखला ने सत्र का संचालन किया।
कार्यशाला में आईपी हेल्पडेस्क एक समर्पित सहायता केंद्र के रूप में उपलब्ध था। दो दिवसीय राष्ट्रीय आईपी यात्रा कार्यक्रम ने महत्वाकांक्षी उद्यमियों को बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की, उन्हें बौद्धिक संपदा, बाजार के रुझान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।