चंडीगढ़ । मंगल ग्रह का वक्री होना वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे उत्साह और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। जब मंगल किसी जातक की कुंडली में वक्री अवस्था में होता है, तो इसका प्रभाव जातक पर गहरा पड़ता है। वक्री अवस्था में मंगल का होना जातक को कठोर बना सकता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मंगल एक क्रूर ग्रह के रूप में जाना जाता है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि मंगल का वक्री होकर कुंडली में उपस्थित होना आपके जीवन पर किस प्रकार का प्रभाव डाल सकता है। नए साल 2025 में मंगल अपनी चाल बदलने वाले हैं। आइए जानें इससे क्या असर पड़ेगा।
मंगल बदलेंगे चाल
मंगल 6 दिसंबर को वक्री अवस्था में प्रवेश करेंगे और 24 फरवरी को इसी स्थिति में रहेंगे। इस वक्री अवस्था के दौरान, मंगल 21 जनवरी को पुनः मिथुन राशि में चले जाएंगे। मिथुन राशि में जाने के बाद, मंगल 2 अप्रैल को कर्क राशि में प्रवेश करेंगे और वहां 6 जून तक बने रहेंगे। इस प्रकार, मंगल 20 अक्टूबर से लेकर 6 जून के बीच मकर, कर्क और मिथुन राशियों में भ्रमण करेंगे।
कर्क राशि मंगल की नीच राशि मानी जाती है, लेकिन पाप ग्रहों का प्रभाव तीसरे, छठे और 11वें भाव में सकारात्मक होता है। इसलिए, मंगल कुछ राशियों के लिए शुभ फल प्रदान कर सकते हैं। यदि मंगल नीच अवस्था में होते हुए भी दशम भाव में आ जाएं, तो यह आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। इस संदर्भ में, केवल उच्च और नीच स्थिति को देखकर निर्णय लेना उचित नहीं है।
यदि आपकी कुंडली में मंगल की स्थिति अनुकूल नहीं है, जैसे कि मंगल छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित है, राहु-केतु के प्रभाव में है, या मंगल शनि से प्रभावित है या सूर्य के साथ है और अस्त है, तो आपको मंगल के लिए कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए। ॐ अं अंगारकाय नमः का जाप करें।
लाल वस्तुओं का दान करें
इसके अतिरिक्त, मंगलवार के दिन आप मंगल के उपाय के लिए मूंगा पहन सकते हैं, लेकिन यह तभी करें जब मंगल की स्थिति 6, 8, या 12 में न हो।