पेरिस | फ्रांस में 3 महीने पहले बनी PM मिशेल बार्नियर की सरकार गिर गई। फ्रांस की संसद में PM बार्नियर की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया। अब उन्हें अपनी पूरी कैबिनेट के साथ राष्ट्रपति मैक्रों को इस्तीफा सौंपना पड़ेगा।
फ्रांस के 62 साल के इतिहास में पहली बार हुआ है, जब संसद में अविश्वास प्रस्ताव के पास होने के कारण किसी प्रधानमंत्री को सत्ता गंवानी पड़ रही है। संसद में वामपंथी एनएफपी गठबंधन की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 331 वोट पड़े, जबकि प्रस्ताव के पास होने के लिए 288 वोट ही काफी थे।
पहली बार किसी PM को अविश्वास प्रस्ताव से हटाया गया; राष्ट्रपति मैक्रों को इस्तीफा सौपेंगे
3 महीने पहले ही अपॉइंट किए गए कंजर्वेटिव नेता बार्नियर गुरुवार को इस्तीफा दे सकते हैं। उन्हें फ्रांस के इतिहास में सबसे कम दिनों तक सरकार चलाने वाला प्रधानमंत्री माना जाएगा। बार्नियर ने अविश्वास प्रस्ताव से पहले अपने आखिरी भाषण में कहा था- फ्रांस और फ्रांसीसियों की सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात है।बार्नियर यूरोपियन यूनियन की तरफ से ब्रेक्सिट के निगोशिएटर थे। उन्हें 5 सितंबर को मैक्रों ने प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
बार्नियर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव क्यों, 5 पॉइंट
- फ्रांस की संसद का निचला सदन यानी नेशनल असेंबली में किसी भी एक पार्टी के पास बहुमत नहीं है। इसमें 3 पार्टियां हैं। मैक्रों का सेंट्रिस्ट अलायंस, वामपंथी गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट और दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली।
- वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट और दक्षिणपंथी नेशनल रैली फिलहाल विपक्ष में हैं। ये दोनों आम तौर पर एक-दूसरे के खिलाफ रहते हैं, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव में दोनों पार्टियां साथ आ गई।
- हाल ही में बार्नियर ने नया बजट पेश किया था। इसमें उन्होंने टैक्स बढ़ाने का फैसला किया।
- फ्रांस में आम तौर पर बजट को नेशनल असेंबली में वोटिंग के बाद पास किया जा सकता है, लेकिन बार्नियर ने बजट को बिना वोटिंग के ही पास करवाया और लागू कर दिया।
- इसके विरोध में वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट और दक्षिणपंथी नेशनल रैली एकजुट हुए। उन्होंने बार्नियर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया, जो पास भी हो गया।
मैक्रों को अब नया PM चुनना होगा
फ्रांस के संविधान के मुताबिक, बार्नियर के इस्तीफे के बाद मैक्रों को एक नया PM नियुक्त करना होगा, क्योंकि फ्रांस में जुलाई 2024 में ही चुनाव हुए थे। ऐसे में जुलाई 2025 तक चुनाव नहीं हो सकते हैं। फिलहाल नेशनल असेंबली में किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं है। इस कारण फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ सकती है।
यूरोपियन यूनियन में ब्रेक्सिट के निगोशिएटर थे बार्नियर
- 73 साल के बार्नियर फ्रांस के अल्पाइन क्षेत्र हाउते-सावोई से आते हैं। वे यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने को लेकर चली बातचीत में मुख्य वार्ताकार यानी निगोशिएटर थे।
- बार्नियर पहली बार 27 साल की उम्र में सांसद बने थे, और बाद में उन्होंने विदेश मंत्री और कृषि मंत्री सहित कई फ्रांसीसी सरकारों में भूमिकाएं निभाईं।
- प्रधानमंत्री नियुक्त होने से पहले वे 15 साल तक फ्रांस की राजानीति से दूर थे। उन्होंने अपना अधिकांश समय ब्रुसेल्स में यूरोपीय संघ के मुख्यालय में बिताया है।
फ्रांस में भारत की तरह 2 सदन
भारत की तरह फ्रांस में भी संसद के 2 सदन हैं। संसद के उच्च सदन को सीनेट और निचले सदन को नेशनल असेंबली कहा जाता है। नेशनल असेंबली के मेंबर को आम जनता, जबकि सीनेट को सदस्यों को नेशनल असेंबली के सदस्य और अधिकारी मिलकर चुनते हैं।
फ्रांस में राष्ट्रपति और नेशनल असेंबली के चुनाव अलग-अलग होते हैं। ऐसे में अगर किसी पार्टी के पास संसद में बहुमत नहीं है तो भी राष्ट्रपति चुनाव में उस पार्टी का लीडर जीत हासिल कर सकता है। 2022 के चुनाव में इमैनुएल मैक्रों के साथ भी यही हुआ था। वे राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत गए थे, लेकिन नेशनल असेंबली में उनके गठबंधन को बहुमत नहीं मिला था।