ढाका | बांग्लादेश इस्कॉन ने चिन्मय प्रभु को सभी पदों से हटा दिया। संगठन के जनरल सेक्रेटरी चारू चंद्र दास ब्रह्मचारी ने अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी गतिविधियों को इस्कॉन से कोई ताल्लुक नहीं है।
दास ने यह भी बताया कि चिन्मय की गिरफ्तारी के लिए हुए प्रदर्शनों में वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की मौत से भी उनके संगठन का कोई ताल्लुक नहीं है। इससे पहले दोपहर में ढाका हाईकोर्ट ने इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को खारिज कर दिया। अदालत में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि इस्कॉन की गतिविधियों के खिलाफ हमने जरूरी कदम उठाए हैं। यह मुद्दा सरकार की प्राथमिकता है।
अनुशासनहीनता के आरोप लगाए, जयशंकर ने मोदी को हालात की जानकारी दी
सरकार ने कहा कि इस्कॉन के मामले में अभी तक 3 केस दर्ज किए गए हैं और 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सेना को देश में किसी भी तरह की अशांति को रोकने के लिए तैनात किया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह सरकार तय करेगी। दरअसल, इस्कॉन मंदिर के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की राजद्रोह में गिरफ्तारी के बाद वहां संगठन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। दास को जेल भेजे जाने के बाद बांग्लादेश में कई जगहों पर हिंसा हुई है। साथ ही इससे बांग्लादेश और भारत सरकार के रिश्तों में भी दरार आई है।
दावा- बांग्लादेश इस्कॉन मामले पर मोदी-जयशंकर की मुलाकात
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश में इस्कॉन मामले को लेकर PM नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की है। विदेश मंत्री ने उन्हें वहां के हालात की जानकारी दी। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर कहा कि वे इस मामले पर केंद्र के साथ हैं। विधानसभा में इस मुद्दे पर बोलते हुए ममता ने कहा कि उन्होंने बंगाल में इस्कॉन से बात की है।
वहीं, भारत में इस्कॉन के कम्युनिकेशन डायरेक्टर ब्रजेंद नंदन दास ने बांग्लादेश में इस्कॉन को एक आतंकवादी और कट्टरपंथी संगठन के आरोपों को निराधार और झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि भारत और दुनिया भर में कोई भी इन आरोपों को स्वीकार नहीं करेगा।
दास ने कहा कि बांग्लादेश में जरूरतमंदों की मदद करने वाले और लोगों के लिए भंडारा आयोजित करने वाले भक्तों को मारा गया है। मुझे उम्मीद है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी और हिंदुओं को सुरक्षा देगी।
शेख हसीना ने भी की चिन्मय की रिहाई की मांग
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्कॉन के चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए अंतरिम सरकार से उन्हें तुरंत रिहा करने के लिए कहा है। हसीना ने कहा कि सनातन धर्म के एक प्रमुख नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है। हसीना ने कहा कि चटगांव में एक मंदिर को जला दिया गया।
इससे पहले मस्जिदों, चर्चों और अहमदिया समुदाय के लोगों के घरों पर हमले किए गए थे। हसीना ने सभी समुदायों के लोगों की धार्मिक आजादी, सुरक्षा और संपत्ति की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है। हसीना के इस बयान को उनकी पार्टी आवामी लीग ने X पर पोस्ट किया है।
बांग्लादेश सरकार के वकील ने कहा था- इस्कॉन कट्टरपंथी संगठन
चटगांव में 26 नवंबर को इस्कॉन प्रमुख की जमानत नामंजूर हो गई थी, जिसके बाद हुई हिंसा में एक वकील सैफुल इस्लाम की जान चली गई थी। इसके बाद 27 नवंबर को बांग्लादेश हाईकोर्ट में इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई थी।
याचिका दायर करने वाले वकील ने कोर्ट में कहा था कि सैफुल की मौत के पीछे इस्कॉन के लोग शामिल हैं। ऐसे में इस संस्था को बैन किया जाए। इस अर्जी में चटगांव में इमरजेंसी घोषित करने की भी मांग की गई थी। इस याचिका पर बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मुहम्मद असदुज्जमां ने इस्कॉन को एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन बताया था।
कौन हैं चिन्मय प्रभु जिनकी गिरफ्तारी पर बांग्लादेश से नाराज हुआ भारत
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का असली नाम चंदन कुमार धर है। वे चटगांव इस्कॉन के प्रमुख हैं। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच 5 अगस्त 2024 को PM शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंदुओं के साथ हिंसक घटनाएं हुईं।
इसके बाद बांग्लादेशी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ। चिन्मय प्रभु इसके प्रवक्ता बने। सनातन जागरण मंच के जरिए चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में कई रैलियों को संबोधित किया। इसमें हजारों लोग शामिल हुए।