चण्डीगढ़। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। इसके अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है। इस दिन तुलसी माता और शालिग्राम जी का विवाह करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह (के दिन कुछ कार्यों को करने से जातक को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। इसलिए इस दिन कुछ कार्यों को करने से बचें। चलिए इस लेख में जानते हैं कि तुलसी विवाह दिन क्या करें और क्या न करें?
कब है तुलसी विवाह?
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 12 नवंबर को है। इसके अगले दिन तुलसी विवाह मनाया जाएगा। हालांकि, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरुआत 12 नवंबर को शाम 04 बजकर 04 मिनट पर होगी। वहीं, समापन 13 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 01 मिनट होगा। उदया तिथि की गणना के अनुसार, 13 नवंबर को तुलसी विवाह मनाया जाएगा।
तुलसी विवाह के दिन क्या करें
- तुलसी विवाह के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए।
- सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
- शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और तुलसी की पूजा करें।
- प्रिय चीजों का भोग लगाएं। भोग थाली में तुलसी के पत्ते शामिल करने चाहिए।
- तुलसी माता को सोलह श्रृंगार की चीजें अर्पित करें।
- गरीब लोगों में दान करना कल्याणकारी माना जाता है।
- सुबह की पूजा-अर्चना के बाद दिन में नहीं सोना चाहिए।
तुलसी विवाह के दिन क्या न करें
- तुलसी विवाह के दिन तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- इस दिन घर को गंदा न रखें, क्योंकि धन की देवी मां लक्ष्मी का वास साफ-सफाई वाली जगह पर होता है।
- किसी से बातचीत के दौरान अभद्र भाषा का प्रयोग न करें।
- बड़े-बुर्जुग और महिलाओं का अपमान न करें।
- इसके अलावा धन की बर्बादी न करें।
- बड़े बुर्जुगों और महिलाओं का अपमान न करें।
पूजा के दौरान इस मंत्र का करें जप
तुलसी नामाष्टक मंत्र
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।