नई दिल्ली | इस बार मानसून एक जून से पहले आ गया था और उसकी आखिरी विदाई अक्टूबर के दूसरे या तीसरे हफ्ते तक हो सकती है। मगर, मौसम विभाग 1 जून से 30 सितंबर तक होने वाली बारिश को ही ‘मानसूनी बारिश’ मानता है।
इस हिसाब से देखें तो मानसूनी बारिश का सीजन खत्म हो गया है। इस बार देशभर में मानसून के दौरान सामान्य से 8% ज्यादा बारिश हुई है। 13 बड़े राज्यों में देखें तो इस बार मानसून में राजस्थान में सर्वाधिक (सामान्य से 56% ज्यादा) व पंजाब में सबसे कम (सामान्य से 28% कम) बारिश हुई।
राजस्थान सबसे ज्यादा भीगा, पंजाब सबसे सूखा; एक महीने में सर्दी की दस्तक
जून में मानसून की दस्तक के समय मौसम विभाग का अनुमान था कि अगस्त तक ला-नीना परिस्थितियां विकसित होंगी और मानसून के आखिरी दो महीनों में जमकर बारिश होगी। मगर ला-नीना नहीं बनने के बावजूद इस बार मानसून मौसम विभाग के अनुमान 106% से भी 2% ज्यादा पर खत्म हुआ।
इस बार मानसून में ज्यादा बारिश की वजह क्या रही आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने कहा- ‘इस बार मानसून के दौरान सक्रिय मैडेन जुलियन ओसिलेशन (एमजेओ) की फ्रीक्वेंसी ने मानसून को बेहतर बनाने में मदद की।’ एमजेओ हिंद महासागर की ओर से आने वाला धरती की परिक्रमा करते बादलों का एक जखीरा है, जो इस बार उत्तर की ओर से गुजरा, जिसका फायदा मिला।
अब आगे क्या? नवंबर के तीसरे हफ्ते से दस्तक देने लगेगी सर्दी
मानसून के देशभर से विदा होने की सामान्य तिथि 15 अक्टूबर है। अब अगले एक से डेढ़ महीने दिन व रात के तापमान में अंतर और बढ़ जाएगाा। नवंबर के तीसरे हफ्ते से दिन में भी तापमान कम होना शुरू होगा, क्योंकि पश्चिमी विक्षोभों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। दिसंबर में पहाड़ों पर बर्फबारी की शुरुआत से मैदानों में भी ठंड दस्तक देगी। नवंबर के आखिरी तक ला-नीना पैदा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। ला-नीना में अक्सर ज्यादा ठंड रहती है।
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देश में 1 जून से 30 सितंबर के दौरान सामान्य रूप से 868.6 मिमी बारिश होनी चाहिए, लेकिन इस बार 934.8 मिमी हुई है यानी 7.8% ज्यादा। जबकि जून में बारिश की 11% कमी थी लेकिन उसके बाद लगातार ज्यादा बारिश होती रही।
जुलाई में 9%, अगस्त में 15.3% और सितंबर में 11.6% बारिश हुई। उत्तर पश्चिम के इलाके जिसमें राजस्थान व दिल्ली शामिल हैं, वहां जून और जुलाई में 32.6% और 14.6% की कमी थी लेकिन बाकी के दो महीने अगस्त व सितंबर में 30.1% और 29.2% ज्यादा बारिश हुई।
उत्तर प्रदेश में लगातार बारिश की कमी बनी रही लेकिन आखिरी दो हफ्तों में हुई बारिश के चलते उसका कोटा पूरा हो गया। मध्य भारत अकेला क्षेत्र रहा, जहां जून में बाकी सभी महीनों से भारी बारिश हुई। जुलाई में 33%, अगस्त में 16.5% और सितंबर में 32.3% बारिश हुई।
अगस्त-सितंबर में बंगाल की खाड़ी में लगातार पांच कम दबाव के क्षेत्र बनने और फिर उसके पूर्वी तटों से पश्चिम की ओर बढ़ते हुए लगातार सक्रिय रहने से मध्य भारत खूब भीगा और हिंद महासागर में सक्रियता से महाराष्ट्र-गुजरात भीगे।