पाकिस्तान | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया। शुक्रवार को अमेरिका के न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 79वें सेशन में शरीफ ने जम्मू-कश्मीर की तुलना फिलिस्तीन से की।
शरीफ ने जम्मू-कश्मीर में भारत सरकार के एक्शन की आलोचना की। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन के लोगों की तरह जम्मू और कश्मीर के लोगों ने भी अपनी स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए एक सदी तक संघर्ष किया।
कहा- यहां के लोगों ने स्वतंत्रता के लिए एक सदी संघर्ष किया
शरीफ ने आरोप लगाया कि भारत यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल के प्रस्तावों को लागू करने के अपने वादे से मुकर रहा है। शरीफ ने भारत पर जम्मू-कश्मीर में ज्यूडिशियल किलिंग, लंबे समय तक कर्फ्यू लगाने और यहां सख्त उपाय अपनाने के भी आरोप लगाए।
भारत ने लाइन ऑफ कंट्रोल पार करने की धमकी दी
शरीफ ने भारत के बढ़ती सैन्य क्षमताओं को लेकर भी सवाल खड़े किए। शरीफ ने कहा कि भारतीय लीडरशिप ने लाइन ऑफ कंट्रोल पार करने की धमकी दी है। मिस्टर प्रेसिडेंट मैं साफ शब्दों में कहना चाहता हूं कि भारत के किसी भी अटैक का पाकिस्तान निर्णायक तरीके से जवाब देगा।
इस्लामोफोबिया पर बोलते हुए शरीफ ने कहा- भारत में हिंदू वर्चस्ववादी एजेंडा इस्लामोफोबिया की सबसे खतरनाक अभिव्यक्ति है। इसका उद्देश्य भारतीय मुसलमानों को लाचार करना और भारत की इस्लामी विरासत को मिटाना है।
फिलिस्तीन UN में सदस्य बनने के लिए क्वालीफाई हुआ: 143 देशों का समर्थन, इसमें भारत भी शामिल
इसी साल 10 मई को फिलिस्तीन ने संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए क्वालिफाइ किया था। UN में इसके लिए वोटिंग हुई थी। ये प्रस्ताव अरब देशों की मांग पर लाया गया था। भारत ने फिलिस्तीन के पक्ष में वोट दिया था।
संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यीय देशों में से 143 ने फिलिस्तीन के पक्ष में, जबकि 9 ने इसके विरोध में वोटिंग की थी। विरोध करने वाले देशों में अमेरिका और इजराइल शामिल थे। 25 देशों ने इस वोटिंग से दूरी बनाई। इस वोटिंग से फिलिस्तीन UN का सदस्य नहीं बना है, बल्कि सदस्य बनने के लिए क्वालिफाई कर पाया है।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में 18 अप्रैल को फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता देने के प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो लगा दिया था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अल्जीरिया ने यह प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर वोटिंग हुई थी। अमेरिका के वीटो के बाद फिलिस्तीन UN का परमानेंट मेंबर नहीं बन सका।