चंडीगढ़ | ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव माना जाता है। त्वचा रोगों के मामले में, शनि, राहु और केतु को प्रमुख रूप से जिम्मेदार माना जाता है।
शनि ग्रह
कारण: शनि को कर्मफल दाता कहा जाता है। यदि व्यक्ति ने पिछले जन्मों में त्वचा संबंधी पाप किए हों, तो इस जन्म में शनि ग्रह के दुष्प्रभाव के रूप में त्वचा रोग हो सकते हैं।
लक्षण: शनि के दुष्प्रभाव से त्वचा रोगों के साथ-साथ शरीर में दर्द, थकान और मानसिक तनाव भी हो सकता है।
उपाय: शनिवार को शनि मंदिर जाकर तेल का दान, काले तिल का दान, और लोहे की वस्तुओं का दान करना चाहिए। हनुमान जी की पूजा और शनि चालीसा का पाठ भी लाभदायक होता है।
राहु और केतु
कारण: राहु और केतु छाया ग्रह हैं, जो अक्सर अशुभ फल देते हैं। ये ग्रह त्वचा रोगों के साथ-साथ एलर्जी और विषाक्त पदार्थों से संबंधित समस्याएं भी पैदा कर सकते हैं।
लक्षण: राहु और केतु के दुष्प्रभाव से त्वचा पर दाग-धब्बे, खुजली और सूजन हो सकती है।
उपाय: राहु और केतु के शांति के लिए पीपल के पेड़ की पूजा, राहु के बीज मंत्र का जाप, और केतु के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।
अन्य ग्रहों का प्रभाव
मंगल: मंगल ग्रह भी त्वचा रोगों के लिए जिम्मेदार हो सकता है। मंगल के दुष्प्रभाव से त्वचा में जलन, लालिमा और फोड़े-फुंसी हो सकती हैं।
सूर्य: सूर्य ग्रह त्वचा रोगों के साथ-साथ आंखों से संबंधित समस्याएं भी पैदा कर सकता है।
त्वचा रोगों के लिए ज्योतिषीय उपाय
रत्न: नीलम, ओपल और मोती जैसे रत्न धारण करने से शनि, राहु और केतु के दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं।
मंत्र जाप: संबंधित ग्रहों के बीज मंत्रों का जाप करने से भी लाभ होता है।
दान: नियमित रूप से दान करने से ग्रहों का प्रकोप कम होता है।
पूजा-पाठ: नियमित रूप से पूजा-पाठ करने से मन शांत रहता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
आहार: सात्विक आहार लेने से शरीर स्वस्थ रहता है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।