Wednesday, 09 July 2025
BREAKING
पंजाब भाजपा के कार्यकर्ताओं में पुरजोश अश्विनी शर्मा जी की कार्यकारणी प्रधान की खुशी में बांटे लड्डू शिक्षक कलात्मक प्रतिभा से बिखेरेंगे रंगोत्सव के रंग हसला ने हरियाणा शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध विद्यालयों में प्रवेश अवधि बढ़ाने की मांग न्यायिक सुधार मुहिम में अग्रणी बना हरियाणा सीआईएसएफ ने विश्व पुलिस व फायर खेलों-2025 में 64 पद जीतकर बढ़ाया देश का गौरव हरित आईएमटी अभियान की ओर हरियाणा का बड़ा कदम: जुलाई-अगस्त में होगा व्यापक पौधारोपण अभियान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आचार्य भिक्षु स्वामी जी को दी श्रद्धांजलि, 300वीं जयंती समारोह में की शिकरत मास्टर एथलीटों ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर किया प्रदेश का नाम रोशन वित्त मंत्री और स्थानीय निकाय मंत्री द्वारा कर्मचारी यूनियनों के साथ मीटिंगें काम करो या कार्यवाही के लिए तैयार रहो

धर्म कर्म

जानें लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव मानने की विधि और नियम

Updated on Sunday, August 25, 2024 09:00 AM IST

चंडीगढ़ | जनमाष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो हर साल भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को बड़े धूमधाम से आयोजित होता है, इस खास दिन को विशेष रूप से लड्डू-गोपाल की पूजा और उनकी जन्म कथा का वाचन करके मनाते हैं, लड्डू-गोपाल के जन्म की इस पावन घड़ी को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए, व्रति भक्त भगवान कृष्ण की पूरी कथा का श्रवण करते हुए, उनके मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना करते हैं, इस अवसर पर भव्य सजावट और दिव्य प्रसाद का आयोजन भी किया जाता है, जो इस उत्सव को और भी खास बनाता है, यहां जानते है कैसे और किस विधि के साथ लड्डू-गोपाल का जन्मोत्सव कैसे मनाना चाहिए:-

त्यौहार की तैयारी करें

  • घर की सजावट करें: जन्माष्टमी पर घर को खूबसूरती से सजाना बेहद जरूरी है, रंगीन फूलों, झालरों, और दीपों से घर को सजाएं, विशेष रूप से, बाल गोपाल की पूजा के स्थान को अच्छे से सजाएं।
  • पवित्र स्नान और वस्त्र पहनें: इस दिन पवित्रता का ध्यान रखते हुए स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें, पूजा करने के लिए सफेद या पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

लड्डू-गोपाल की मूर्ति सजाएं

  • मूर्ति की स्थापना: एक सुंदर लड्डू-गोपाल की मूर्ति को पूजास्थल पर स्थापित करें, इस मूर्ति को खास वस्त्र पहनाएं और इसे फूलों से सजाएं।
  • छोटे लड्डू तैयार करें: भगवान कृष्ण को लड्डू अर्पित करना एक पुरानी परंपरा है,छोटे-छोटे लड्डू तैयार करें और उन्हें सजाकर मूर्ति के पास रखें।

पूजा विधि में शामिल करें

  • सिद्ध पूजा सामग्री: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में ताजा फूल, दीपक, अगरबत्ती, चंदन, और पान के पत्ते शामिल करें।
  • आरती और भजन: पूजा के दौरान कृष्ण भजन गाएं और दीपक की आरती करें, ‘श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी’ जैसे भजन इस दिन की पूजा का एक खास हिस्सा माना जाता हैं।
  • धूप-दीप अर्पण करें: मूर्ति के पास दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें, यह वातावरण को पवित्र बनाता है और पूजा का महत्व बढ़ाता है।

विशेष प्रसाद का भोग लगाएं

  • मिठाई का भोग: विशेष रूप से इस दिन हलवा, खीर, और लड्डू का भोग तैयार करें, इन प्रसादों को भगवान को अर्पित करने के बाद भक्तों में बांट दें ।
  • फल और फूल का भोग: भगवान कृष्ण को फलों और फूलों का भी भोग अर्पित करें, यह उनकी पूजा का एक जरूरी हिस्सा है।

रात्रि को विशेष आयोजन करें

  • जन्मोत्सव का मनाना: रात्रि को भगवान कृष्ण के जन्म के समय के करीब खास पूजा आयोजित करें, इस दौरान कृष्ण के जीवन की घटनाओं की कथा सुनाएं और भक्तों के साथ मिलकर खुशी मनाएं।
  • रासलीला और नृत्य का आयोजन: इस दिन विशेष रासलीला और नृत्य का आयोजन करें, बच्चों के लिए कृष्ण के जीवन से जुड़े नृत्य और नाटक का आयोजन भी कर सकते हैं।

दान और सेवा करें

  • दान का महत्व: इस पवित्र अवसर पर गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें, यह धार्मिक कार्य के साथ-साथ समाज में पॉजिटिव चेंज लाने में मदद करता है।
  • सेवा का कार्य करें : मंदिरों में सेवा कार्य में भाग लें और समुदाय के साथ मिलकर इस त्यौहार को और खास मनाएं।
  • जन्माष्टमी की पूजा विधि को सही तरीके से अपनाकर और इस दिन के महत्व को समझकर, आप इस त्यौहार को और भी खास बना सकते हैं, यह दिन भगवान कृष्ण के जीवन और उनके अद्वितीय गुणों को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाने का अवसर है।
Have something to say? Post your comment
श्री श्याम करुणा फाउंडेशन ने अपना 172वां भंडारा आयोजित किया

: श्री श्याम करुणा फाउंडेशन ने अपना 172वां भंडारा आयोजित किया

माता मनसा देवी मंदिर में चोला अर्पित करने की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू

: माता मनसा देवी मंदिर में चोला अर्पित करने की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू

जानें Kainchi Dham क्यों कहलाता है नीब करौली बाबा का आश्रम

: जानें Kainchi Dham क्यों कहलाता है नीब करौली बाबा का आश्रम

जानें  गणेश जी ने मूषक राज को ही अपने वाहन के रूप में क्यों चुना?

: जानें गणेश जी ने मूषक राज को ही अपने वाहन के रूप में क्यों चुना?

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा  करने से जीवन में होगी सभी सुखों की प्राप्ति

: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से जीवन में होगी सभी सुखों की प्राप्ति

कब है पापमोचनी एकादशी-चैत्र नवरात्र, आइए जानते हैं इस माह के व्रत और त्योहार

: कब है पापमोचनी एकादशी-चैत्र नवरात्र, आइए जानते हैं इस माह के व्रत और त्योहार

काशी विश्वनाथ मंदिर में कब और कौन करते हैं सप्तर्षि आरती? आइए, इसके बारे में जानें सबकुछ

: काशी विश्वनाथ मंदिर में कब और कौन करते हैं सप्तर्षि आरती? आइए, इसके बारे में जानें सबकुछ

रमजान को संयम का महीना माना जाता है,यह महीना सिर्फ इबादत का ही नहीं इंसानियत के लिए बहुत खास  है

: रमजान को संयम का महीना माना जाता है,यह महीना सिर्फ इबादत का ही नहीं इंसानियत के लिए बहुत खास है

झारखंड के सोनमेर मंदिर में पूरी होती है मनोकामना, पाहन करते हैं मुंडारी भाषा में मंत्रोच्चार

: झारखंड के सोनमेर मंदिर में पूरी होती है मनोकामना, पाहन करते हैं मुंडारी भाषा में मंत्रोच्चार

हिंदू धर्म के पुराणों से आयुर्वेद तक: मेंहदी क्यों है इतनी खास

: हिंदू धर्म के पुराणों से आयुर्वेद तक: मेंहदी क्यों है इतनी खास

X