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ज्योतिष

ग्रहण में क्या करें क्या न करें

Updated on Wednesday, June 17, 2020 16:15 PM IST

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद् के अनुसार सूतक काल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। ग्रंथों के अनुसार सूतक काल में पूजा पाठ और देवी देवताओं की मूर्तियों को भी छूने की मनाही है। इस दौरान कोई शुभ काम शुरू करना अच्छा नहीं माना जाता।
सूर्य ग्रहण के अशुभ असर से बचने के लिए प्रभावित राशि वाले लोगों को ग्रहण काल के दौरान महामृत्युंजय मंत्र के जप करना चाहिए या सुन भी सकते हैं। इसके अलावा जरुरतमंद लोगों को अनाज दान करें। ग्रहण से पहले तोडक़र रखा हुआ तुलसी पत्र ग्रहण काल के दौरान खाने से अशुभ असर नहीं होता।
यह सूर्य ग्रहण निश्चित रूप से जरुरत से ज्यादा पानी लाएगा। भारत में कई जगह बाढ़ की स्थिति बनेगी। प्राकृतिक आपदा में भूकंप आने की भी प्रबल सम्भावना रहेगी। जो वैश्विक महामारी से समाज गुजर रहा इसका कई तरह से प्रभाव आने वाले समय में बना रहेगा। लोगों में आत्म विश्वासकी कमी होगी। युद्ध की स्थिति बनेगी।

क्या न करें?
सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए, क्योंकि सूर्य ग्रहण का बुरा प्रभाव आंखों पर पड़ता है. इसे नग्न आंखों से देखने से बचना चाहिए. नग्न आंखों से ग्रहण देखने पर आंखों को नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए दूरबीन, टेलीस्कोप, ऑप्टिकल कैमरा व्यूफाइंडर से सूर्य ग्रहण को देखना सुरक्षित है.

सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त एहतियात बरतनी होती है. बालक, बुजुर्ग और मरीजों को छोडक़र दूसरे लोगों को भोजन का त्याग करना चाहिए. खासकर, गर्भवती महिलाओं को घर में रहने और संतान गोपाल मंत्र का जाप करने के लिए कहा जाता है.
ग्रहण के समय गर्भवती स्त्री को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। क्योंकि ऐसे समय में सूर्य से हानिकारक तरंगे निकलती हैं जो कि मां और बच्चे की सेहत के लिए हानिकारक होती हैं। तेल मालिश नहीं करना चाहिए। सूतक काल में खासकर गर्भवती महिलाएं सावधानी जरूर रखें. ग्रहण काल के दौरान आपको कुछ खाना नहीं है और चाकू, छूरी का प्रयोग नहीं करना है. इस दौरान सब्जी फल आदि नहीं काटना है.

ग्रहण के दौरान लोगों को पानी पीने से भी बचना चाहिए। ग्रहण खत्म होने तक भोजन नहीं पकाया जाता है।

ग्रहण काल में किसी भी नए कार्य का शुभारंभ न करें.

ग्रहण काल की अवधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. सूतक काल में पाठ पूजा की जाती है, देवी देवताओं की मूर्तिया छूना नहीं चाहिए.
सूतक के दौरान भोजन बनाना और भोजन करना वर्जित माना जाता है. भारी अनाज और सीरियल्स जैसे आटा, मैटा, काली दाल इन चीजों को पचाना पेट के लिए मुश्किल होता है और चूंकि ग्रहण के दौरान बदलाव हो रहा होता है ऐसे में हमारे शरीर के लिए इन चीजों को डाइजेस्ट करना और भी ज्यादा मुश्किल और तकलीफदेह हो सकता है। लिहाजा ग्रहण के दौरान ग्रेन्स और सीरियल्स का सेवन न करें।
कोई भी ऐसा खाद्य पदार्थ जो हमारे शरीर के तापमान को बढ़ा देता है और जिसे पचाना शरीर के लिए मुश्किल होता है उनका सेवन ग्रहण के दौरान नहीं करना चाहिए वरना डाइजेशन से जुड़ी दिक्कतें और बीमारियां हो सकती हैं। लिहाजा डीप फ्राइड और ऑइली फूड से परहेज करें।
नॉन वेज न खाएं
पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार नॉन वेजिटेरियन फूड शरीर के तापमान को बढ़ा देता है क्योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और शरीर के लिए इन्हें डाइजेस्ट करना मुश्किल हो जाता है। लिहाजा जो लोग पहले से बीमार हैं उन्हें तो अंडा और मीट से ग्रहण के दौरान दूर ही रहना चाहिए।
खुला रखा हुआ पानी न पिएं
जी हां, वैसे तो ग्रहण के दौरान पानी पीने की भी मनाही रहती है। लेकिन अगर प्यास बर्दाश्त न हो रही तो पानी पी सकते हैं लेकिन वैसा पानी न पिएं जो काफी देर पहले से बिना ढके हुए खुला रखा हो। ग्रहण के दौरान होने वाले कॉस्मिक चेंज की वजह से पानी में भी रिऐक्शन हो सकता है। इसलिए अगर पीना ही हो तो ढंका हुआ पानी पिएं।
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देवी-देवताओं की प्रतिमा और तुलसी के पौधे को स्पर्श नहीं करना चाहिए.
सूर्य ग्रहण के दौरान फूल, पत्ते, लकड़ी आदि नहीं तोडऩे चाहिए.
इस दिन न बाल धोने चाहिए ना ही वस्त्र.
ग्रहण के समय सोना, शौच, खाना, पीना, किसी भी तरह के वस्तु की खरीदारी से बचना चाहिए.
सूर्यग्रहण में बाल अथवा दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए, ना ही बालों अथवा हाथों में मेहंदी लगवानी चाहिए.
सर्यग्रहण के दरम्यान उधार लेन-देन से बचना चाहिए. उधार लेने से दरिद्रता आती है और उधार देने से लक्ष्मी नाराज होती हैं.

क्या करें?
सूतक के समय पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए। ग्रहण के समय मानसिक रूप से मंत्रों का जाप कर सकते हैं। जैसे राम नाम, ऊँ नम शिवाय, सीताराम, श्री गणेशाय नम: आदि मंत्रों का जाप कर सकते हैं। आप चाहे तो अपने इष्टदेव का ध्यान भी कर सकते हैं।
ग्रहण काल के समय भगवान का ध्यान करना चाहिए. ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें,
भगवान के ध्यान के साथ ही मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए.
ग्रहण समाप्ति के बाद घर में गंगाजल का छिडक़ाव करना चाहिए.
सूतक काल के पहले तैयार भोजन को खाने से पहले उसमें तुलसी के पत्ते डालकर शुद्ध करें।
सूर्य ग्रहण लगने और खत्म होने के दौरान सूर्य मन्त्र ‘ॐ ह्रीं घृणि: सूर्य आदित्य: क्लीं ॐ’ के अलावा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का धीमे-धीमे मगर शुद्ध जाप करें.
सूर्य ग्रहण के साथ जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है. ग्रहण काल के दौरान कमाया गया पुण्य अक्षय होता है. इसका पुण्य प्रताप अवश्य प्राप्त होता है.

ग्रहण खत्म होने के बाद घर की सफाई करनी चाहिए। घर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को स्नान करना चाहिए। पूजा-पाठ करना चाहिए।
ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके उचित व्यक्ति को दान करने का विधान है।
ग्रहण के बाद पुराना पानी और अन्न फेक देना चाहिए। नया भोजन पकाकर खाये और ताजा पानी भरकर पिए।
पूरा होने पर उसका शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए।
ग्रहण के बाद गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
ग्रहण के दौरान आपको धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हुए खुद को प्रसन्ऩचित अवस्थां में रखना चाहिए। रोग शांति के लिए ग्रहणकाल में आपको महामृत्युंोजय मंत्र का जप करना चाहिए। कांसे की कटोरी में घी भरकर उसमें चांदी का सिक्काु डालकर अपना मुख देखकर छायापात्र मंत्र पढ़ें। उसके बाद ग्रहण समाप्ति होने पर वस्त्र , फल, और दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान करने से रोग मुक्त़ होते हैं।

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