मोहाली, 18 जून 2025: 19 जून को विश्व किडनी कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर फोर्टिस अस्पताल मोहाली के डॉक्टरों ने भारत में किडनी कैंसर के बढ़ते मामलों को लेकर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया है। और इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों — जैसे कि पेट में दर्द, पेट में सूजन, बिना कारण वजन घटना और पेशाब में खून आना — को नजरअंदाज न करने की सलाह दी है।
किडनी कैंसर, जिसे रिनल कैंसर भी कहा जाता है, एक गंभीर दीर्घकालिक बीमारी है जो आमतौर पर तब शुरू होती है जब किडनी की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। इस बीमारी और इससे जुड़ी जटिलताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल जून के तीसरे गुरुवार को विश्व किडनी कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 2025 में इस दिवस की वैश्विक थीम है — "शो योर किडनीस लव"। यह एक आह्वान है कि हम अपने शरीर के दो सबसे ज़रूरी लेकिन अक्सर उपेक्षित अंगों की सुरक्षा करें।
डॉ. धर्मेंद्र अग्रवाल, कंसल्टेंट, यूरो-ऑन्कोलॉजी एवं रोबोटिक सर्जरी, फोर्टिस अस्पताल मोहाली ने किडनी कैंसर, इसके कारणों, चेतावनी संकेतों और बचाव के उपायों पर आधारित एक स्वास्थ्य सलाह साझा की।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि किडनी का मुख्य कार्य रक्त से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करना है। इसके अलावा, किडनी शरीर में सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि इलेक्ट्रोलाइट्स के स्तर को बनाए रखती है, रक्तचाप को नियंत्रित करती है और लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण भी करती है। हालांकि, कभी-कभी किडनी में असामान्य वृद्धि या ट्यूमर हो जाता है। कुछ मामलों में यह वृद्धि सौम्य (गैर-कैंसरयुक्त) होती है, जबकि कुछ मामलों में यह घातक (कैंसरयुक्त) हो सकती है।
किडनी कैंसर के कारणों पर चर्चा करते हुए डॉ. अग्रवाल ने कहा कि इस बीमारी का मुख्य कारण धूम्रपान, मोटापा, असंतुलित खानपान, उच्च रक्तचाप, लंबे समय तक डायलिसिस, आर्सेनिक जैसे रसायनों का संपर्क, और अनुवांशिक कारक हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इसके चेतावनी संकेतों में पेशाब में खून आना (हीमाचूरिया), पेट में दर्द और सूजन, पेट में गांठ, लगातार थकान रहना, बिना किसी कारण के वजन घटना, सर्दी या फ्लू के बिना बुखार रहना शामिल हैं।
किडनी कैंसर के इलाज पर जानकारी साझा करते हुए डॉ. अग्रवाल ने कहा कि इस बीमारी का मुख्य उपचार सर्जरी है। हालांकि, कुछ मामलों में कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी की आवश्यकता भी पड़ सकती है। कैंसर कितना फैला है, यह जानने के लिए आमतौर पर सीटी स्कैन और चेस्ट एक्स-रे किया जाता है।
उन्होंने बताया कि पार्शियल नेफरेक्टोमी, इसमें सर्जन केवल किडनी का कैंसरग्रस्त भाग हटाते हैं और बाकी स्वस्थ हिस्सा सुरक्षित रखते हैं। यह तब किया जाता है जब ट्यूमर फैला न हो। रैडिकल नेफरेक्टोमी, इसमें पूरी किडनी को हटा दिया जाता है, और आसपास की लिम्फ नोड्स भी निकाली जा सकती हैं। यह तब किया जाता है जब ट्यूमर बड़ा हो।
बचाव के उपायों पर डॉ. अग्रवाल ने कहा कि हालांकि किडनी कैंसर को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ सावधानियां अपनाकर इसके खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इनमें शामिल हैं — धूम्रपान से दूर रहना, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना, साल में एक बार नियमित अल्ट्रासाउंड करवाना और स्वस्थ वजन बनाए रखना।