चंडीगढ़, 17 जून 2025: वेदांता समूह के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने हाल ही में लंदन में विश्वविख्यात चलचित्र निर्देशक फ्रांसिस फोर्ड कोपोला से मुलाकात की। यह केवल एक साधारण भेंट नहीं थी, बल्कि वर्षों पुरानी एक प्रेरणा की पूर्ण यात्रा का क्षण था। इस आत्मीय संवाद में दोनों ने भारत, कहानी कहने की परंपरा, संस्कृत भाषा, और चलचित्रों के अमर प्रभाव जैसे विषयों पर चर्चा की।
सबसे रोचक बात यह रही कि फ्रांसिस फोर्ड कोपोला ने संस्कृत सीखने की इच्छा प्रकट की — यह दो महान व्यक्तित्वों के बीच एक विलक्षण सांस्कृतिक संबंध को दर्शाता है।
अनिल अग्रवाल ने इस विशेष अनुभव को सामाजिक मंच पर साझा करते हुए लिखा:
“जब मैं लगभग बीस वर्ष का था, तब यह चलचित्र प्रदर्शित हुई। मैं उस समय बिहार से बंबई आया था। उस समय मुझे अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान नहीं था। एक मित्र ने किसी प्रकार उस चलचित्र की कैसेट प्राप्त की, और हम लगभग नौ-दस युवक एक छोटे से कमरे में एकत्र होकर वह चलचित्र देखने लगे।”
“शब्द तो सभी समझ में नहीं आए, किंतु प्रत्येक दृश्य मन को छू गया।”
वह प्रथम अनुभव एक जीवन भर की प्रेरणा बन गया। उन्होंने आगे लिखा:
“मैं उसे ऐसा प्रस्ताव दूँगा जिसे वह मना नहीं कर सकेगा — उस समय का एक वाक्य, जिसे मैं नहीं समझ पाया था, अब मेरे जीवन का मूल मंत्र बन गया है।”
वर्षों बाद, उस छोटे से कमरे से लेकर रिवरसाइड स्टूडियोज़, लंदन तक की यात्रा ने उस प्रेरणा को पूर्णता प्रदान की — जब अनिल अग्रवाल की भेंट उस व्यक्ति से हुई, जिसकी कला ने उनके जीवन की दिशा बदल दी।
उन्होंने चलचित्र की एक पंक्ति का उल्लेख किया, जो वर्षों से उनके साथ रही:
“महान पुरुष जन्म से महान नहीं होते, वे अपने कर्मों से महान बनते हैं।”
इस पंक्ति को उन्होंने अपने जीवन से जोड़ते हुए कहा:
“कोई भी व्यक्ति एक दिन में बड़ा नहीं बनता। मेहनत, नीयत और समय — यदि ये तीनों सही दिशा में हों, तो कुछ भी असंभव नहीं।”
यह भेंट इस बात का प्रमाण है कि चलचित्र केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि प्रेरणा का माध्यम भी है — जो पीढ़ियों, संस्कृतियों और भौगोलिक सीमाओं को पार कर सकती है।
द गॉडफादर केवल एक चलचित्र नहीं, बल्कि एक छोटे शहर के युवक की जीवन-गाथा की मार्गदर्शिका बन गई — जिसने उसे आगे बढ़ने, सपने देखने और उन्हें साकार करने की शक्ति दी।
और जब उस प्रेरणा का अनुयायी अंततः उस प्रेरणा के स्रोत से मिला — तो वह क्षण केवल एक भेंट नहीं, बल्कि एक सपने के साकार होने जैसा था।