Thursday, 05 December 2024
BREAKING
फ्रांस में 3 महीने में गिरी PM मिशेल बार्नियर की सरकार साउथ कोरिया में रक्षा मंत्री ने दिया इस्तीफा हैदराबाद में फिल्म पुष्पा-2 की स्क्रीनिंग के दौरान मची भगदड़ महाराष्ट्र CM का शपथ ग्रहण समारोह आज मैक्स अस्पताल मोहाली ने 1,500 सफल किडनी प्रत्यारोपण के साथ नया मानदंड स्थापित किया फोर्टिस मोहाली ने 81 वर्षीय मरीज पर सफलतापूर्वक ट्रांसकैथेटर माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट किया याशिका गोयल ने 52वीं राज्यस्तरीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में जीता पहला पुरस्कार प्रवासी पंजाबियों की शिकायतों के समाधान के लिए हर महीने के पहले सप्ताह में होगी 'ऑनलाइन एनआरआई मिलनी': कुलदीप सिंह धालीवाल ऑल इंडिया सर्विसेज टूर्नामेंट के लिए पंजाब की बैडमिंटन, क्रिकेट, बास्केटबॉल, कबड्डी और टेबल टेनिस टीमों के ट्रायल 10 दिसंबर को कैप्टन अमरिंदर ने सुखबीर बादल पर हमले की निंदा की

धर्म कर्म

जब माँ बनी बेटी...

Updated on Monday, November 11, 2024 13:01 PM IST

 

अजय को याद है, वो शाम कितनी अजीब सी थी। जैसे कुछ गड़बड़ था, लेकिन वो समझ नहीं पा रहा था कि क्या। वह अपने ऑफिस में था, घर से करीब 300 किलोमीटर दूर। सुबह से ही उसे कुछ अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी। ऐसा लगता जैसे कुछ ठीक नहीं है। उसने कई बार माँ और पिताजी को फोन किया, लेकिन दोनों का जवाब एक ही था—"सब ठीक है।"
फिर भी उसका मन नहीं मान रहा था। उसकी बेचैनी बढ़ रही थी। जैसे कोई घड़ी का कांटा बार-बार उसके दिल पर दस्तक दे रहा हो। आखिरकार शाम के करीब सात बजे, उसने तय किया कि वो गाड़ी निकालकर घर की ओर निकल पड़े। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कुछ बड़ा होने वाला है। और जब वो रास्ते में था, तभी पिताजी का फोन आया, "माँ का एक्सीडेंट हो गया।" यह सुनते ही उसकी हालत खराब हो गई। बिना देर किए, उसने गाड़ी की रफ्तार बढ़ा दी। 
रास्ते भर, माँ के चेहरे की चिंता और दर्द उसकी आँखों के सामने घूमते रहे। एक तस्वीर जैसे बार-बार उसकी आँखों में उभर रही थी—माँ का दर्द से भरा चेहरा, उसकी कराहें। वह सोचता रहा, “माँ इस वक्त क्या महसूस कर रही होंगी?” गाड़ी की रफ्तार तेज हो गई थी, लेकिन हर मिनट लंबा महसूस हो रहा था। उसकी बस एक ही दुआ थी—जल्दी से जल्दी माँ के पास पहुँच जाए। रात के करीब 12 बजे, वह अस्पताल पहुँचा। माँ को देखकर उसे थोड़ा सुकून मिला, लेकिन उनके शरीर पर बुरी तरह से चोटें थीं। माँ कराह रही थीं, और उनकी आवाज में दर्द साफ सुनाई दे रहा था। “अजय, बहुत दर्द हो रहा है।” यह सुनते ही उसकी आँखें भर आईं। वह बस उनके पास बैठकर उनका हाथ थामे कह सका, “माँ, मैं आ गया हूँ। अब सब ठीक हो जाएगा।"

इस दृश्य को देखकर वह यह महसूस कर रहा था कि माँ, जो हमेशा उसे संभालती आईं थीं, अब उसकी देखभाल की जरूरत में थीं। जैसे ही माँ दर्द से तड़पतीं, वह खुद को भी काबू नहीं कर पा रहा था। अब वह माँ के दर्द को अपने दिल से महसूस करने लगा था। एक रात करीब 2 बजे, माँ की कराहने की आवाज से उसकी नींद खुली। माँ दर्द से तड़प रही थीं। वह तुरंत उनके पास गया। माँ ने कहा, “बहुत दर्द हो रहा है बेटा, सहा नहीं जा रहा।” उसका दिल जैसे किसी ने चीर दिया हो।
वह बिना एक पल भी गवाए माँ के पास बैठा और कहा, “माँ, सब ठीक हो जाएगा। मैं तुम्हारे लिए कुछ करता हूँ। अभी तुम्हारा दर्द कम होगा।” उसने माँ को सहारा दिया और कहा, “चलो, बैठते हैं, हम कुछ बातें करते हैं। मैं चाय बना लाता हूँ।” 
दोनों ने रात के 2 बजे चाय पीते हुए बातचीत की। इन मुलाकातों से माँ का ध्यान दर्द से हट गया। थोड़ी देर के लिए वह आराम से महसूस करने लगीं। माँ के चेहरे पर मुस्कान देखकर अजय को भी सुकून मिला। उसने माँ को अपनी गोद में लेटाकर सुलाया और खुद भी कुछ देर बाद सो गया। सुबह होते ही दोनों एक नई ऊर्जा से भरपूर थे।

दिनों के साथ, अजय ने माँ का ख्याल वैसे रखा, जैसे एक पिता अपनी बेटी का रखता है। वह अब उनके पास बैठकर हर पल उनके दर्द को समझने की कोशिश करता। उसे अब महसूस होने लगा कि जिस तरह माँ ने उसे बचपन में स्नेह दिया था, अब वही स्नेह वह अपनी माँ को दे रहा था।
कभी माँ उसे संजीवनी की तरह संभालती थी, और आज वह माँ को उसी तरह संभालने का प्रयास कर रहा था। हर रात, जब उनका दर्द बढ़ता, वह माँ के पास बैठकर उनका सिर सहलाता और कहता, “सब ठीक हो जाएगा, माँ। मैं हूँ ना।” एक दिन जब माँ बहुत देर तक बैठी बातें कर रही थीं, उसने मजाक में कहा, “अब आप मेरी बेटी बन गई हो।” माँ ने उसकी ओर देखा, उनकी आँखों में आँसू थे, लेकिन उन आँसुओं में दर्द नहीं था—वह आँसू प्यार और गहरे रिश्ते के थे। अजय को यह समझ में आने लगा कि यह जीवन का अद्भुत चक्र है। एक समय था जब माँ उसे पालती थीं, आज वह अपनी माँ की देखभाल कर रहा था। जिन छोटी-छोटी तकलीफों को माँ बचपन में महसूस करती थीं, आज वही तकलीफें अजय महसूस कर रहा था। उनका दर्द अब उसका दर्द बन चुका था और उनकी खुशी अब उसकी खुशी बन गई थी। जब अजय ने माँ को अपनी बेटी की तरह स्वीकार किया, वह पल उसके जीवन का सबसे गहरा अनुभव बन गया। एक बेटे से ज्यादा, वह अब एक पिता की भूमिका निभा रहा था, और यही असली प्यार और रिश्तों की गहराई है।

विकास बिश्नोई
313, सेक्टर 14, हिसार (हरियाणा)

Have something to say? Post your comment
जानिए 4 या 5 दिसंबर, कब है विनायक चतुर्थी? यहां पढ़ें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

: जानिए 4 या 5 दिसंबर, कब है विनायक चतुर्थी? यहां पढ़ें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

 जानिए कब है अगहन की मासिक शिवरात्रि? निशिता काल में होगी शिव पूजा, देखें शुभ मुहूर्त

: जानिए कब है अगहन की मासिक शिवरात्रि? निशिता काल में होगी शिव पूजा, देखें शुभ मुहूर्त

 जानें अंगूठी से ही क्यों भरा जाता है दुल्हन की मांग में सिंदूर

: जानें अंगूठी से ही क्यों भरा जाता है दुल्हन की मांग में सिंदूर

इस समुदाय में लिए जाते हैं 7 की जगह सिर्फ 4 फेरे, जानें इसके पीछे की कहानी भी है बड़ी रोचक

: इस समुदाय में लिए जाते हैं 7 की जगह सिर्फ 4 फेरे, जानें इसके पीछे की कहानी भी है बड़ी रोचक

इस पावन दिन मनाया जाएगा तुलसी विवाह का पर्व, जानें शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

: इस पावन दिन मनाया जाएगा तुलसी विवाह का पर्व, जानें शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

 नवंबर में कब मनाई जाएगी गणाधिप संकष्टी चतुर्थी? ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

: नवंबर में कब मनाई जाएगी गणाधिप संकष्टी चतुर्थी? ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

गुरु नानक देव जी के  ये अनमोल वचन, जो बदल देंगे आपका जीवन

: गुरु नानक देव जी के ये अनमोल वचन, जो बदल देंगे आपका जीवन

 शनिधाम गौशाला में  धूमधाम से मनाया गया गोपाष्टमी का महापर्व

: शनिधाम गौशाला में धूमधाम से मनाया गया गोपाष्टमी का महापर्व

जानिए  छठ पूजा मनाने  का धार्मिक महत्व

: जानिए छठ पूजा मनाने का धार्मिक महत्व

जानिए क्यों मनाते हैं भाई दूज का पर्व, ये है तिलक करने का शुभ मुहूर्त

: जानिए क्यों मनाते हैं भाई दूज का पर्व, ये है तिलक करने का शुभ मुहूर्त

X