Saturday, 12 July 2025
BREAKING
पंजाब में बिजनेस की नई उड़ान, बिल्ड एक्स कॉन्क्लेव में उमंग जिंदल ने बताया राज्य में संभावनाओं का रोडमैप कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान दिसंबर, 2021 को केंद्र को सी.आई.एस.एफ. लगाने की सहमति दी गई: बरिन्दर कुमार गोयल छोटे कारोबारों के लिए बड़ी राहत: तरुनप्रीत सिंह सौंद पंजाब विधानसभा में बेज़ुबान जानवरों की भलाई के लिए ऐतिहासिक बिल पेश, डॉ. बलजीत कौर ने की बिल की सराहना मुख्य मंत्री ने राज्य में पारंपरिक ग्रामीण खेलों को और बढ़ावा देने और संरक्षित करने की प्रतिबद्धता दोहराई हमारा लक्ष्य सिर्फ आँखों की रोशनी नहीं, बल्कि हरियाणा के भविष्य को उज्जवल बनाना: आरती सिंह राव मुख्य मंत्री के नेतृत्व में सी.आई.एस.एफ. तैनात करने के विरोध में ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित गुरु पूर्णिमा पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र पाल मल्होत्रा ने ब्रह्माकुमारी दीदीयों को किया सम्मानित बढ़ता नशा और बेरोजगारी युवाओं के लिए चिंताजनक - दिग्विजय चौटाला हरियाणा सरकार इंजीनियरिंग कार्यों की निगरानी के लिए "चीफ मिनिस्टर इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट क्वालिटी मॉनिटर्स" के रूप में युवाओं की लेगी सेवाएं

धर्म कर्म

हिंदू धर्म के 10 प्रमुख मंदिर

Updated on Sunday, June 30, 2024 13:24 PM IST

चंडीगढ़। एक समय ऐसा था जबकि ईरान से लेकर कंबोडिया और इंडोनेशिया तक सनातन हिंदू धर्म का वृहद प्रचलन था। अब परिस्थिति बदल गई है। भारत में सैकड़ों प्राचीन मंदिर थे लेकिन उन्हें मुगल काल में तोड़ दिया गया। हालांकि आज भी देश और दुनिया में हिंदुओं के कई प्राचीन मंदिर बचे हुए हैं। उन्हीं में से जानिए 10 प्रमुख मंदिरों के बारे में जानकारी।

मुंडेश्वरी देवी का मंदिर : हमारे देश में 1 से 1,500 वर्ष पुराने मंदिर तो मिल ही जाएंगे, जैसे अजंता-एलोरा का कैलाश मंदिर, तमिलनाडु के तंजौर में बृहदेश्वर मंदिर, तिरुपति शहर में बना विष्णु मंदिर, कंबोडिया का अंकोरवाट मंदिर आदि। लेकिन सबसे प्राचीन मंदिर के प्रमाण के रूप में मुंडेश्वरी देवी का मंदिर माना जाता है जिसका निर्माण 108 ईस्वी में हुआ था। मुंडेश्वरी देवी का मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल में पवरा पहाड़ी पर 608 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी स्थापना 108 ईस्वी में हुविश्क के शासनकाल में हुई थी। यहां शिव और पार्वती की पूजा होती है। इस मंदिर के 635 में विद्यामान होने का उल्लेख मिलता है। कुछ के अनुसार मंदिर से प्राप्त शिलालेख के अनुसार उदय सेन के शासन काल में इसका निर्माण हुआ था।

अंकोरवाट का हिन्दू मंदिर : कम्बोडिया के अंकोरवाट में एक विशालकाय हिन्दू मंदिर है जो भगवान विष्णु को समर्पित

है। इसे पहले अंकोरयोम और उससे पहले यशोधपुर कहा जाता था। प्राचीन लेखों में कम्बोडिया को कम्बुज कहा गया है। अंकोरवाट का निर्माण कम्बुज के राजा सूर्यवर्मा द्वितीय (1049-66 ई.) ने कराया था और यह मन्दिर विष्णु को समर्पित है। अंकोरवाट जयवर्मा द्वितीय के शासनकाल (1181-1205 ई.) में कम्बोडिया की राजधानी था। यह अपने समय में संसार के महान नगरों में गिना जाता था। यह हिन्दुओं का सबसे विशाल मंदिर है, जिसका वास्तु देखते ही बनता है। मंदिर के मध्यवर्ती शिखर की ऊंचाई भूमितल से 213 फुट है। इसके बाद जगन्नाथ मंदिर को सबसे ऊंचा मंदिर माना जाता है।

प्रबनन मंदिर (मध्य जावा इंडोनेशिया) : इंडोनेशिया के सेंट्रल जावा में स्थित यह एक हिन्दू मंदिर है। प्राचीनकाल में इंडोनेशिया का राजधर्म हिन्दू और उसके बाद बौद्ध हुआ करता था। लेकिन इस्लाम के उदय के बाद अब यह मुस्लिम राष्ट्र है। ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी को समर्पित इस मंदिर को मान्यता अनुसार 9वीं शताब्दी में बनाया गया था। मंदिर की दीवारों पर धार्मिक कहानियां और शानदार नक्काशी उकेरी गई हैं।

मुन्नेस्वरम मंदिर (मुन्नेस्वरम, श्रीलंका) : इस मंदिर के इतिहास को रामायण काल से जोड़ा जाता है। इस मंदिर परिसर में पांच मंदिर हैं, जिनमें से सबसे बड़ा और सुंदर मंदिर भगवान शिव का है। कहा जाता है कि पुर्तगालियों ने 2 बार इस मंदिर पर हमला कर नुकसान पहुंचाने की कोशिश की था लेकिन वो मंदिर को कोई हानि न पहुंचा सके। श्रीलंका की मान्यताओं के अनुसार, रावण का वध करने के बाद भगवान श्री राम ने इसी जगह पर भगवान शिव की आराधना की थी।

चार धाम मंदिर : बद्रीनाथ (उत्तराखंड), द्वारिका (गुजरात), जगन्नाथपुरी (ओड़िसा) और रामेश्वर (तमिलनाडु) को बड़ा चार धाम कहते हैं। हिन्दू धर्म में इसी की यात्रा का खास महत्व है। इन स्थानों को सबसे प्राचीन माना जाता है और यहां स्थित मंदिरों को भी बहुत प्राचीन माना जाता है। हालांकि वक्त की मार और आक्रमणकारियों द्वारा इन स्थानों के मंदिरों के टूटने के बाद यहां पुनःर्निमाण का कार्य भी चलता रहा है। लेकिन यहां वर्तमान स्वरूप में स्थित सभी मंदिर करीब 9वीं से 11वीं सदी के बीच बनाए गए थे।

सोमनाथ मंदिर : सोमनाथ का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है क्योंकि इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। इतिहासकार मानते हैं कि ऋग्वेद की रचना 7000 से 1500 ईसा पूर्व हई थी यानी आज से 9 हजार वर्ष पूर्व। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। उल्लेखनीय है कि यूनेस्को की 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की सूची 38 है। हालांकि इस मंदिर को आक्रमणकारियों ने तोड़ दिया था और अब जो मंदिर है वह ज्यादा पुराना नहीं है।

शनि शिंगणापुर : देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर। विश्वप्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित शनिदेव की पाषाण प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है। इस मंदिर को भी बहुत प्राचीन माना जाता है। इसकी प्राचीनता को कोई नहीं जानता।

अजंता-एलोरा के मंदिर : अजंता एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप स्थित हैं। ये गुफाएं बड़ी-बड़ी

चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। 29 गुफाएं अजंता में तथा 34 गुफाएं एलोरा में हैं। इन गुफाओं को वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया गया है। इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। इन गुफाओं के रहस्य पर आज भी शोध किया जा रहा है। यहां ऋषि-मुनि और भुक्षि गहन तपस्या और ध्यान करते थे। सह्याद्रि की पहाड़ियों पर स्थित इन 30 गुफाओं में लगभग 5 प्रार्थना भवन और 25 बौद्ध मठ हैं। घोड़े की नाल के आकार में निर्मित ये गुफाएं अत्यंत ही प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व की हैं। इनमें 200 ईसा पूर्व से 650 ईसा पश्चात तक के बौद्ध धर्म का चित्रण किया गया है। इन गुफाओं में हिन्दू, जैन और बौद्ध 3 धर्मों के प्रति दर्शाई गई आस्था के त्रिवेणी संगम का प्रभाव देखने को मिलता है। दक्षिण की ओर 12 गुफाएं बौद्ध धर्म (महायान संप्रदाय पर आधारित), मध्य की 17 गुफाएं हिन्दू धर्म और उत्तर की 5 गुफाएं जैन धर्म पर आधारित हैं।

खजुराहो का मंदिर : आखिर क्या कारण थे कि उस काल के राजा ने सहवास को समर्पित मंदिरों की एक पूरी श्रृंखला बनवाई? यह रहस्य आज भी बरकरार है। खजुराहो वैसे तो भारत के मध्यप्रदेश प्रांत के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटा-सा कस्बा है लेकिन सबसे ज्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई नाम आता है तो वह है खजुराहो। खजुराहो भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है। चंदेल शासकों ने इन मंदिरों का निर्माण सन् 900 से 1130 ईसवीं के बीच करवाया था। इतिहास में इन मंदिरों का सबसे पहला जो उल्लेख मिलता है, वह अबू रिहान अल बरुनी (1022 ईसवीं) तथा अरब मुसाफिर इब्न बतूता का है। कला पारखी चंदेल राजाओं ने करीब 84 बेजोड़ व लाजवाब मंदिरों का निर्माण करवाया था, लेकिन उनमें से अभी तक सिर्फ 22 मंदिरों की ही खोज हो पाई है। ये मंदिर शैव, वैष्णव तथा जैन संप्रदायों से संबंधित हैं।

अन्य मंदिरः बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडु, तिरुपति बालाजी, चेन्नाकेशव मंदिर कर्नाटक, तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड, आदि कुंभेश्वर तमिलनाडु, वरदराज पेरुमल मंदिर, कोणार्क सूर्य मंदिर ओड़िशा, ओरछा मंदिर मध्यप्रदेश, विरुपाक्ष मंदिर, हम्पी कर्नाटक, श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर।

Have something to say? Post your comment
दातीजी महाराज...एक ऐसा संत, जिसका जीवन मानव कल्याण, गायों की सेवा, बेटियों की खुशहाली और धर्म की रक्षा को समर्पित

: दातीजी महाराज...एक ऐसा संत, जिसका जीवन मानव कल्याण, गायों की सेवा, बेटियों की खुशहाली और धर्म की रक्षा को समर्पित

श्री श्याम करुणा फाउंडेशन ने अपना 172वां भंडारा आयोजित किया

: श्री श्याम करुणा फाउंडेशन ने अपना 172वां भंडारा आयोजित किया

माता मनसा देवी मंदिर में चोला अर्पित करने की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू

: माता मनसा देवी मंदिर में चोला अर्पित करने की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू

जानें Kainchi Dham क्यों कहलाता है नीब करौली बाबा का आश्रम

: जानें Kainchi Dham क्यों कहलाता है नीब करौली बाबा का आश्रम

जानें  गणेश जी ने मूषक राज को ही अपने वाहन के रूप में क्यों चुना?

: जानें गणेश जी ने मूषक राज को ही अपने वाहन के रूप में क्यों चुना?

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा  करने से जीवन में होगी सभी सुखों की प्राप्ति

: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से जीवन में होगी सभी सुखों की प्राप्ति

कब है पापमोचनी एकादशी-चैत्र नवरात्र, आइए जानते हैं इस माह के व्रत और त्योहार

: कब है पापमोचनी एकादशी-चैत्र नवरात्र, आइए जानते हैं इस माह के व्रत और त्योहार

काशी विश्वनाथ मंदिर में कब और कौन करते हैं सप्तर्षि आरती? आइए, इसके बारे में जानें सबकुछ

: काशी विश्वनाथ मंदिर में कब और कौन करते हैं सप्तर्षि आरती? आइए, इसके बारे में जानें सबकुछ

रमजान को संयम का महीना माना जाता है,यह महीना सिर्फ इबादत का ही नहीं इंसानियत के लिए बहुत खास  है

: रमजान को संयम का महीना माना जाता है,यह महीना सिर्फ इबादत का ही नहीं इंसानियत के लिए बहुत खास है

झारखंड के सोनमेर मंदिर में पूरी होती है मनोकामना, पाहन करते हैं मुंडारी भाषा में मंत्रोच्चार

: झारखंड के सोनमेर मंदिर में पूरी होती है मनोकामना, पाहन करते हैं मुंडारी भाषा में मंत्रोच्चार

X