चंडीगढ़, 15 जुलाई: पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने आज पंजाब विधानसभा का ध्यान वर्ष 1986 की पीड़ादायक घटनाओं की ओर आकर्षित करते हुए जस्टिस गुरनाम सिंह कमीशन की रिपोर्ट का मामला उठाया। उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट की एक प्रति विधानसभा में मौजूद है, किंतु ‘कार्रवाई रिपोर्ट’ रहस्यमय ढंग से लापता हो गई है। उन्होंने विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवां से इस महत्वपूर्ण दस्तावेज़ को खोजने हेतु एक कमेटी गठित करने की अपील की, जिस पर विधानसभा स्पीकर ने उक्त रिपोर्ट का पता लगाने के लिए कमेटी के गठन की घोषणा की।
‘पंजाब धार्मिक ग्रंथों के विरुद्ध अपराध की रोकथाम विधेयक, 2025’ पर चर्चा के दौरान विधानसभा को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री स हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि जस्टिस गुरनाम सिंह कमीशन की लापता कार्रवाई रिपोर्ट को खोजने से पंजाब के लोगों को वर्ष 1986 की घटनाओं की सच्चाई को जानने, उस समय जिम्मेदार व्यक्तियों की भूमिका को समझने तथा उनके उत्तराधिकारियों की वर्तमान कार्यशैली को परखने में सहायता मिलेगी।
‘पंजाब धार्मिक ग्रंथों के विरुद्ध अपराध की रोकथाम विधेयक, 2025’ की महत्ता दर्शाने के लिए ऐतिहासिक घटनाओं का किया उल्लेख
फरवरी 1986 की पीड़ादायक घटनाओं का दिया संदर्भ
स चीमा ने प्रस्तावित विधेयक की महत्ता और जवाबदेही की आवश्यकता को रेखांकित करने के लिए इतिहास की घटनाओं का संदर्भ दिया। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से जब-जब पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के नेतृत्व वाली या धार्मिक विचारधारा से जुड़ी सरकार सत्ता में आई, तब राज्य को अस्थिर करने की नीयत से प्रत्यक्ष रूप से या साजिश के माध्यम से गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के प्रयास किए गए। वित्त मंत्री ने विशेष रूप से 2 फरवरी 1986 की दुखद घटना का उल्लेख किया, जब शिरोमणि अकाली दल के शासनकाल के दौरान गुरुद्वारा साहिब गुरु अर्जुन देव जी, नकोदर में पांच पवित्र बीड़ें जला दी गईं। उन्होंने इसके पश्चात 4 फरवरी 1986 की घटनाओं का भी उल्लेख किया, जब चार युवक – रविंदर सिंह लित्तड़ां, बलधीर सिंह रामगढ़, झिरमल सिंह गुरसियाणा, और हरमिंदर सिंह – शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान गोलियों का शिकार हो गए, जैसे कि में बरगाड़ी में देखे गए भांति।
वित्त मंत्री ने कहा कि इन घटनाओं के समय राज्य में शिरोमणि अकाली दल की सरकार थी, जिसमें सुरजीत सिंह बरनाला मुख्यमंत्री, कैप्टन कंवलजीत सिंह गृह मंत्री, और वर्तमान कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैहरा के पिता सुखजिंदर सिंह खैहरा शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि उस समय की सरकार द्वारा न तो कोई कार्रवाई की गई और न ही कोई एफ.आई.आर. दर्ज नहीं की गई।