चंडीगढ़। पुरानी पेंशन बहाली समेत कई मांगों को लेकर कर्मचारी 16 फरवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे। इससे पहले कर्मचारी संगठन 31 जनवरी को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे और सरकार को हड़ताल का नोटिस देंगे। हड़ताल की तैयारियों को लेकर शनिवार को चंडीगढ़ में कॉनफैडरेशन ऑफ यूटी इंपलाइज एंड वर्कर्स चंडीगढ़ के प्रधान रघबीर चंद की अध्यक्षता में सम्मेलन का आयोजन किया गया।
31 जनवरी को जिला मुख्यालयों पर धरना देकर देंगे हड़ताल के नोटिस
सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि हड़ताल ऐतिहासिक होगी और इसमें देशभर के करोड़ों मजदूर एवं कर्मचारी शामिल होंगे और सरकार को अपनी ताकत का अहसास करवाएंगे। उन्होंने कहा कि हड़ताल का हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, राजस्थान व यूपी सहित उत्तर भारत के सभी राज्यों के साथ ही ही देशभर में हड़ताल का व्यापक असर रहेगा।
उन्होंने कहा कि देश में सरकारी विभागों एवं पीएसयू में 50 लाख से ज्यादा ठेका संविदा कर्मचारी का कर रहे हैं। सरकार उनको न तो नियमित कर रही है और न ही उन्हें समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने तो कौशल रोजगार निगम का गठन कर ठेका कर्मचारियों के रेगुलर होने के सभी रास्ते ही बंद कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि रिकार्ड जीएसटी कलेक्शन के बावजूद देश के करोड़ों कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के कोविड 19 में फ्रीज किए गए 18 महीने के बकाया डीए डीआर का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
सरकार, सरकारी विभागों एवं पीएसयू को मजबूत करने की बजाय जन सेवाओं का निजीकरण कर रही है। जिससे जन सेवाएं आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर निरंतर हमले किए जा रहे हैं। सभी श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने बकायदा लिखित आदेश जारी कर धरने प्रदर्शन एवं हड़ताल पर पाबंदी लगा दी है।
सम्मेलन को कर्मचारी नेता गोपाल दत्त जोशी, एनईसी सदस्य रेखा गौरा, राजेन्द्र कटोच,पंजाब सबोर्डिनेट सर्विसेज फेडरेशन के जरनल सेकेट्री एनडी तिवरी, किसान सभा पंजाब के सूबा प्रधान एसएस सेखों, ऑल कांट्रेक्ट कर्मचारी महासंघ के चेयरमैन बिपिन शेर सिंह समेत कई नेताओं ने संबोधित किया।