चंडीगढ। इंटरनेशनल क्वान की डो फेडरेशन द्वारा गठित एशियन क्वान की डो फेडरेशन के नवनियुक्त प्रेजीडेंट और श्रीजेजेटी यूनिवर्सिटी झुंझुनूं के वाइस चांसलर डाॅ डीएस ढुल ने विधिवत तरीके से अपना कामकाज संभालते हुए नवंबर में थाईलैंड में एशियन क्वान की डो चैंपियनशिप करवाने की घोषणा की है। उन्होंने खिलाडियों और प्रशिक्षकों को खेल के प्रति जागरूक करने के लिए अधिक से अधिक अंतरराष्टीय स्तर पर वर्कशाप करवाने की भी घोषणा की।
वे सोमवार को चंडीगढ में पत्रकारों से रूबरू हो रहे थे। गौरतलब है कि इंटरनेशनल ओलम्पिक कमेटी व तफिशा से सम्बद्ध इंटरनेशनल क्वान की डो फेडरेशन के प्रेजीडेंट कारोल डेरेला की अध्यक्षता में एशियाई फेडरेशन का गत दिवस रोहतक में गठन किया गया था, जिसमें खेल क्षेत्र, खेल प्रबंधन में प्रख्यात एवं श्रीजेजेटी यूनिवर्सिटी झुंझुनूं के प्रेजीडेंट डॉ डीएस ढुल को सर्वसम्मति से एशियन क्वान की डो फेडरेशन का प्रेजीडेंट चुना गया। डॉ ढुल ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ क्वान की डो खेल को एशियाई महाद्वीप में युवाओं के मध्य लोकप्रिय बनाने की घोषणा की।
इंटरनेशनल फेडरेशन प्रेजीडेंट की अध्यक्षता व 11 देशों के प्रतिनिधियों ने जेजेटीयू झुंझुनूं के वीसी के नाम पर लगाई मुहर|
सोमवार को फेडरेशन के सहयोगियों के साथ पत्रकारों से संवाद करते हुए डाॅ डीएस ढुल ने बताया कि दो दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस के बाद एशियन क्वान की डो फेडरेशन का गठन करके पहली वार्षिक सामान्य बैठक बुलाई गई थी। इसमें भारत के अतिरिक्त चीन, नेपाल, ओमान, श्रीलंका, भूटान, कतर, दुबई, आबु-धाबी, थाईलैंड, पाकिस्तान व इंडोनेशिया के प्रतिनिधि ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। उन्होंने बताया कि क्वान की डो खेल को एशिया महाद्वीप में योजनाबद्ध तरीके से विस्तार देने के लिए कार्यकारिणी में प्रेजीडेंट के तौर पर श्रीजेजेटी यूनिवर्सिटी झुंझुनूं के प्रेजीडेंट व खेल क्षेत्र में बेहतरीन परिणाम देने वाले डॉ डीएस ढुल को प्रेजीडेंट चुना गया, जबकि इंटरनेशनल क्वान की डो फेडरेशन के तकनीकी निदेशक एवं रोमानिया मूल के मास्टर ओवी डू कोवाकी को कार्यकारिणी का चेयरमैन चुना गया। वहीं, सी.ई.ओ सतीश ढुल, महासचिव सुमित ढुल, सीनियर वाइस प्रेजीडेंट डॉ दिनेश कुमार को बनाया गया।
नवनियुक्त प्रेजीडेंट डॉ डीएस ढुल ने कहा कि एशियाई फेडरेशन के दायरे में आने वाले सभी देशों में खेल को बढावा देने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई गई है, इसमें हर देश में विशेष वर्कशाप का आयोजन करना शामिल है, ताकि खिलाडियों के साथ-साथ प्रशिक्षकों को खेल की बारीकियों के बारे में जागरूक किया जा सके।