Astrology
इस दशहरे पर कैसे करें पूजा

आश्विन शुक्ल दशमी के दिन मनाया जाने वाला विजयादशमी का पर्व वर्षा ऋतु के समापन तथा शरद के आरंभ का सूचक है।यह क्षत्रियों का भी बड़ा पर्व है। ब्राहमण सरस्वती पूजन और क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं।

13 और 14 अक्तूबर , को करें   कन्या पूजन ?

इस बार शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि का पूजन 14 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार को किया जाएगा और इसी के साथ नवरात्रि 

का समापन हो जाएगा। कन्या पूजन से एक दिन पहले ही कन्याओं को अपने घर आमंत्रित कर देना चाहिए। शास्त्रों के  अनुसार दो वर्ष लेकर 10 वर्ष तक की कन्या को कंजक पूजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए यदि आप दुर्गाष्टमी के दिन करते  हैं तो कन्या पूजन 13 अक्टूबर को होगा और यदि महानवमी के दिन करते हैं तो कन्या पूजन 14 अक्टूबर को होगा।

 

चंद्र राशि और अंक विज्ञान के अनुसार आप अपना भविष्य जानिए

1.मेष

2021 काफी अच्छा रहेगा। इस वर्ष मुख्य रूप से आपके करियर और बिजनेस में सफलता प्राप्त होगी। कर्मफल दाता शनि देव की अपार कृपा प्राप्त होगी जो आपके आर्थिक जीवन को खुशहाल बनाने में मदद करेगी। बहुत समय से अटकी हुई कोई योजना पूर्ण हो जाएगी जिससे आपको अच्छा धन लाभ होगा। आपका पारिवारिक जीवन समस्याओं से घिरा रहेगा।

कैसा रहेगा 2021 आप और देश के लिए ?

2021 की शुरूआत में गुरू मकर राशि में होंगे तथा 6 अप्रैल को कुम्भ में प्रवेश करेंगे पुनः 14 सितंबर को 

 

वक्री होकर मकर में आएंगे। इसके बाद 21 नवम्बर को पुनः कुम्भ राशि में प्रवेश कर जाएंगे और शनि 

मकर राशि में ही रहेंगे। राहु वृष राशि में तथा केतु वृश्चिक राशि रहेगा। मंगल सम्पूर्ण वर्ष मेष राशि से 

वृश्चिक राशि तक गोचर करेगा। इसी प्रकार अन्य ग्रह भी सम्पूर्ण वर्ष सभी राशियों में भ्रमण करते रहेगें 

और उसका प्रभाव आपके ऊपर किसी न किसी रूप में अवश्य पड़ेगा।

ज्योतिष .- तीज और विवाह, राशि अनुसार करें ये उपाय, जल्द बनेगा शादी का संयोग

वास्तव में तीज का संबंध शीघ्र विवाह से ही है. जिन लोगों की शादी नहीं हुई है या जिनकी शादी में कोई अड़चन आ रही है, तो हम आपको बता रहे हैं कुछ उपाय जिन्हें करने से आपकी शादी का संयोग जल्द से जल्द बन जाएगा.

हरियाली तीज 23 जुलाई गुरुवार

वर्तमान समय के कोरोना काल में हर व्रत, पर्व, त्योहार, धार्मिक अनुष्ठान बहुत सीमित रुप से , उसके महत्व को ध्यान में रख कर , सार्वजनिक स्थानांे, धर्मस्थलों की बजाए घरों या ऑनलाइन मनाए जा रहे हैं। आप भी पूरी निष्ठा से मनाएं परंतु सभी नियमों का पालन करते हुए ताकि गलती से भी न हम संक्रमित हों न दूसरों को होने दें।

सावन के सोमवार को खरीदें इनमें से कोई भी एक चीज, होगा भाग्य उदय

भस्म:पहले सोमवार को या किसी भी सावन के सोमवार को शिव मूर्ति के साथ यदि भस्म रखते हैं तो शिव कृपा मिलेगी.

चातुर्मास इस बार 4 की बजाए - 5 मास का रहेगा।

इस वर्ष चातुर्मास जो पहली जुलाई से, 25 नवंबर तक है, चार मास की बजाए, पांच मास का रहेगा। इस चौमासे का विवरण रामायण काल में भी मिलता है जब भगवान राम, कहते हैं कि अब चौमासा भी समाप्त होने जा रहा है और सीता जी का कुछ पता नहीं चल रहा।  इस बार आश्विन मास, मलमास अर्थात अधिक मास होने से एक की बजाय दो बार आएगा और सभी उत्सव, पर्व एवं त्योहार आदि गत वर्षों की तुलना में लेट आएंगे।

देवशयनी एकादशी बुधवार, जुलाई 1, 2020 को

देवशयनी एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है. दशमी तिथि की रात्रि के भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए. अगले दिन प्रात: काल उठकर देनिक कार्यों से निवृत होकर व्रत का संकल्प करें भगवान विष्णु की प्रतिमा को आसन पर आसीन कर उनका षोडशोपचार सहित पूजन करना चाहिए।

क्या देव भी पौराणिक काल में क्वारंटाइन होते थे?

हमारे देश में भगवान भी बीमार होते हैं और उनकी भी चिकित्सा की जाती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ को ठंडे जल से स्नान कराया जाता है। इस स्नान के बाद भगवान को ज्वर (बुखार) आ जाता है। 15 दिनों तक भगवान जगन्नाथ को एकांत में एक विशेष कक्ष में रखा जाता है। जहां केवल उनके वैद्य और निजी सेवक ही उनके दर्शन कर सकते हैं। इसे अनवसर कहा जाता है। देवताओं का यह 4 महीने का शयनकाल,वर्तमान समय का क्वारंटाइन जैसा ही लग रहा है।
हरिशयनी एकादशी, देवशयनी एकादशी, पद्मा एकादशी, पद्मनाभा एकादशी नाम से पुकारी जाने वाली एकादशी इस वर्ष 1 जुलाई  को आ रही है। इस दिन से गृहस्थ लोगों के लिए चातुर्मास नियम प्रारंभ हो जाते हैं।

देवशयनी  से देवउठनी एकादशी के बीच नहीं होगा विवाहों का लॉकडाउन

अक्सर कई विद्वान चौमासे को लेकर आप तो चिंतित रहते ही है परंतु सारे समाज को कई बिंदुओं पर भ्रमित कर देते हैं। और आमजन पूछता रह जाता हैं कि क्या अब चार महीने के लिए शादियों का लॉक डाउन आरंभ हो रहा है? मान्यता है कि इस चतुर्मास में विष्णु भगवान क्षीर सागर में निद्रा में चले जाते हैं और पृथ्वी पर इस दौरान कोई भी धार्मिक एवं विवाह जैसे शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। इसे श्री विष्णु शयनोत्सव भी कहा जाता है।

ग्रहण का किस राशि पर क्या होगा प्रभाव बता रहे हैं मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्,

आपकी कुंडली में दी गई  चंद्र राशि के अनुसार ग्रहण का यह सामान्य फल हो सकता है, फिर भी हर व्यक्ति की  ग्रह दशा आदि के अनुसार कई अन्य फलादेश भी होंगे

1.      मेष - सफलता के संकेत-  धन लाभ का योग बन रहा है. इस राशि के लोगों के लिए सूर्यग्रहण विशेष लाभ देने वाला साबित होगा. सूर्यग्रहण किसी भी मामले में हानिकारक नहीं है बल्कि सभी 

ग्रहण में क्या करें क्या न करें

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद् के अनुसार सूतक काल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। ग्रंथों के अनुसार सूतक काल में पूजा पाठ और देवी देवताओं की मूर्तियों को भी छूने की मनाही है। इस दौरान कोई शुभ काम शुरू करना अच्छा नहीं माना जाता।
सूर्य ग्रहण के अशुभ असर से बचने के लिए प्रभावित राशि वाले लोगों को ग्रहण काल के दौरान महामृत्युंजय मंत्र के जप करना चाहिए या सुन भी सकते हैं। इसके अलावा जरुरतमंद लोगों को अनाज दान करें। ग्रहण से पहले तोडक़र रखा हुआ तुलसी पत्र ग्रहण काल के दौरान खाने से अशुभ असर नहीं होता।

शुभ फल लेकर नहीं आते ग्रहण:मदन गुप्ता

ग्रहण शुभ फल लेकर नहीं आते हैं। ये भविष्य में आने वाली परेशानियों के बारे में भी इंगित करते हैं। देशकाल की बात करें तो एक माह में दो ग्रहण प्राकृतिक आपदाओं का भी कारण बनते हैं.