-कई महीने से वेतन भी नहीं देने पर बिफरे अस्पताल के कर्मचारी
-नागरिक अस्पताल में ठेके पर लगे कर्मचारियों ने की हड़ताल
गुरुग्राम: पहले तो कई महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा। उसके बाद उनके मूल काम से हटाकर दूसरा काम करवाने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे भला कैसे और कौन काम करेगा। यह शिकायत है नागरिक अस्पताल के उन कर्मचारियों की, जो कि ठेकेे पर लगे हैं। अपनी मांगों को लेकर इन कर्मचारियों ने गुरुवार को काम छोड़कर हड़ताल शुरू की। इनमें काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं।
यहां हड़ताल कर रहे कर्मचारी मनजीत, योगेश, लवकेश, शर्मिला, पूनम आदि ने बताया कि पिछले कईसाल से वे यहां काम करते आ रहे हैं। अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ करते हैं। इसके बाद भी उन्हें परेशान किया जा रहा है। यहां 214 कर्मचारी हैं, जिनकी तीन महीने से सेलरी नहीं दी जा रही। अभी तक तो सेलरी की मांग कर रहे थे। इसी बीच एक नया विवाद भी खड़ा हो गया। कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें जिन पदों पर लगाया गया था, उन पर वे काम कर रहे थे। चुपके से उनके पदों को ही बदल दिया गया। डाटा एंट्री ऑपरेटर शर्मिला के मुताबिक कहने को तो वह डीओ है, लेकिन उससे स्वीपर काम करने के आदेश दिए गए हैं। इसी तरह की शिकायत पूनम की भी थी। उनका पहले तो वेतन 23,225 रुपये तय हुआ था, लेकिन उनकी पोस्ट घटाने के साथ वेतन को भी घटाकर अब 14 हजार रुपये कर दिया गया है। जो कि नाइंसाफी है।

सिफारिश वाले डीओ लगाने के लिए दूसरे कर्मचारियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है। पुराने डीओ को अपने पदों से हटाकर यहां सिफारिश से 4 नए डीओ एडजस्ट किए गए हैं। सभी कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि अस्पताल के एक स्थायी क्लर्क के भतीजे को भी लगाया गया है। शिकायत सैल में 8 कर्मचारी थे, जिनमें से 4 को स्वीपर लगा दिया गया है। 10 साल वालों को तो हटा दिया है, वहीं एक साल वालों को रख लिया है। इन पदों को बदलने के लिए उन्हें किसी तरह की सूचना तक नहीं दी गई। उनकी एजुकेशन डीओ के स्तर की है तो वे कैसे स्वीपर का काम करें।
अपनी शिकायत लेकर सभी कर्मचारी सिविल सर्जन डा. वीरेंद्र यादव के पास भी पहुंचे थे। उनकी तरफ से भी कोई खास मदद नहीं की गई। कर्मचारियों ने कहा कि अब तक तो वे कोरोना योद्धा कहलाए, लेकिन अब उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है।