-गुरुग्राम के गांव धानावास में चार बेटियों के साथ रहता है ब्रह्मप्रकाश
-मकान मालिक ने भी आज तक नहीं लिया कोई किराया
गुरुग्राम। मानवता की सच्ची सेवा की राह पर चलते हुए गुरुग्राम के डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों ने एक परिवार का लंबे समय से अधूरा पड़ा मकान पूरा करवाकर दिया है। वह अब तक किराये पर रह रहा था। किसी तरह मकान बनाने का काम शुरू किया, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह उसे पूरा नहीं कर सका। वह गांव में ही एक घर में किराये पर रह रहा था। हालांकि मकान मालिक ने आज तक उससे एक रुपया भी किराया नहीं लिया।
चार बेटियों व पत्नी के साथ ब्रह्मप्रकाश अपनी पत्नी सुमन व चार बेटियों के साथ जिले के गांव धानावास में बस्तीराम के मकान में पिछले 17 साल से रह रहे हैं। बस्तीराम ने उदारता दिखाते हुए उनसे कभी एक रुपया भी किराया नहीं लिया। ब्रह्मप्रकाश एक कंपनी में लेबर का काम करते हैं। कुछ बचत करके उन्होंने मकान बनाना शुरू किया, लेकिन पूरा नहीं कर सका। डेरा के सेवादारों ने 100 गज जमीन पर अधूरे पड़े मकान को पूरा कराने में मदद की। मकान का काम पूरा होने के बाद डेरा सच्चा सौदा की ग्रीन एस. वेलफेयर विंग के सेवादारों व अन्य डेरा प्रेमियों ने नाम चर्चा करके परिवार को घर की चाबी सौंप दी। साथ ही उन्हें अपने घर में किसी तरह की नशा ना करने की प्रेरणा देते हुए सदा नेक कार्य करते रहने का अनुरोध किया।
पक्का मकान मिलने के बाद ब्रह्मप्रकाश व उनकी पत्नी सुमन ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख डा. संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा की पावन प्रेरणा से इतना नेक कार्य करने वाले सेवादारों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि सेवादारों ने दिन-रात काम करके उनका घर तैयार करवाया है। वे इसे कभी भूल नहीं पाएंगे। परिवार को मकान की चाबी देते समय गंगाराम, संदीप, देवेंद्र ज्योति पार्क, मुकेश राजेंद्रा पार्क, अशोक सेक्टर-9ए, पातली निवासी चांदकिशोर इंसा, सतीश, मदन, मास्टर रामदित्ता, दीपक कालड़ा सेक्टर-9, बबली, दीक्षा, ललित इंसा आदि मौजूद रहे। इन्हीं में से काफी लोगों ने मकान में श्रमदान किया।
अपने घर में लेबर लगाते हैं, यहां खुद काम किया
गांव धानावास निवासी पूर्व भंगीदास गंगाराम, उनकी पत्नी भतेरी इंसा व बेटा जवाहर ने इस मकान को बनवाने में काफी मदद की है। गंगाराम अपने घर में कोई काम करवाते हंै तो लेबर लगाते हैं। यह उनकी दीनता और नम्रता ही है कि उन्होंने ब्रह्मप्रकाश का मकान बनाने में खुद भी काम किया और परिवार के अन्य सदस्यों ने भी। सुबह 7 से शाम 7 बजे तक काम किया।