चंडीगढ़। पंजाब व हरियाणा के बीच एसवाईएल के मुद्दे पर चल रही लड़ाई ने सोमवार को नया मोड़ ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखकर कहा है कि इस मुद्दे के समाधान के लिए वह फिर से बैठक करने को तैयार हैं। इस केस की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले पंजाब के मुख्यमंत्री ने हरियाणा के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था।
सीएम मनोहर लाल पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दी स्वीकृति
पंजाब के सीएम ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले रखा था द्विपक्षीय वार्ता का प्रस्ताव
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पत्र के बाद अब नजरें पंजाब के मुख्यमंत्री के जवाब पर लगी हुई हैं। एसवाईएल को लेकर 4 अक्टूबर, 2023 को सर्वोच्च न्यायालय ने एक विस्तृत आदेश पारित किया है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ‘निष्पादन जल के आवंटन से संबंधित नहीं है’। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद पंजाब सरकार नहर निर्माण से साफ इनकार कर चुकी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यह पत्र ऐसे मौके पर लिखा है जब पंजाब सरकार एसवाईएल के मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुला रही है।
पंजाब के सीएम को लिखे पत्र में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा का प्रत्येक नागरिक 1996 के मूल वाद संख्या 6 के डिक्री के अनुसार पंजाब के हिस्से में एसवाईएल नहर के निर्माण के शीघ्र पूरा होने की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा है। इसके अलावा, वह अपने लोगों और दक्षिणी हरियाणा में हमारी सूखी भूमि के इस लंबे समय से प्रतीक्षित सपने को साकार करने के लिए कुछ भी करने को हमेशा तैयार हैं। उन्होंने उम्मीद जताई की पंजाब सरकार निश्चित रूप से इस मामले को हल करने में अपना सहयोग देगी।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने 4 अक्टूबर 2023 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक दिन पहले यानी 3 अक्टूबर की तारीख में मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा था और इस मुद्दे को लेकर द्विपक्षीय बैठक करने के लिए समय मांगा था। इससे पहले दोनों के बीच आखिरी बार 14 अक्टूबर 2022 को द्विपक्षीय बैठक हुई थी। इसके बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने चार जनवरी 2023 को दूसरे दौर की चर्चा की जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे। यहां गौर करने वाली बात है कि एसवाईएल नहर पर हुई सभी बैठकें पंजाब सरकार के नकारात्मक रवैये के कारण बेनतीजा रही थी।