चंडीगढ़,10 दिसंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) : लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी ने सियाचिन पर भारत के कब्जे पर अपना अनुभव सांझा किया। उन्होंने बताया कि सियाचिन ग्लेशियर पर भारत और पाकिस्तान दोनों ही कब्जा करना चाहते थे। दोनों ही देशों ने 1984 की गर्मियों में मई तक कब्जा करने की योजना बनाई थी। वहा मई तक इतनी बर्फबारी होती है कि कोई कदम नहीं रख सकता है। इसलिए पाकिस्तानी की योजना थी कि मई के बाद वहां कब्जा किया जाए। लेकिन, भारत ने पाकिस्तान का यह खुफिया आकलन गलत साबित करते हुए जीरो डिग्री तापमान में अप्रैल में ही वहां कब्जा कर लिया। यदि पाकिस्तानी सेना वहा पहले पहुंच गई होती तो सियाचिन पाकिस्तान के पास होता।
लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी ने बताया कि हम मई में वहां सैनिक भेजने की योजना बना रहे थे। लेकिन, उत्तरी कमाड के लेफ्टिनेंट जनरल ने सोचा कि जम्मू-कश्मीर के बालटिस्तान से आसानी से ग्लेशियर तक पहुंचा जा सकता है। इसलिए यदि पाकिस्तानी सेना वहा मई में पहुंचती है तो उसका वहा कब्जा हो जाएगा। यही कारण है कि उन्होंने 13 अप्रैल 1984 को वहां पर कब्जा करने का फैसला लिया। 13 अप्रैल को उनकी अगुवाई में 17 हेलिकॉप्टर के जरिए 20 सैनिकों को सियाचिन ग्लेशियर पर भेजा गया, जहां पर उन्होंने कब्जा किया। उन्होंने कहा कि भारत की इस बड़ी कामयाबी पर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने भी अपनी बुक में हैरानी जताई थी। क्योंकि सियाचिन की जीरो डिग्री तापमान वाली बर्फीली पहाड़ियों पर कब्जा करना भारत के लिए एक बड़ी कामयाबी थी।
सरकारी स्कूल से भी कर सकते हैं बेहतर पढ़ाई
लेफ्टिनेंट जनरल जेएस ढिल्लों ने स्कूली छात्रों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि वह जालंधर के मानपुर गांव के रहने वाले हैं और गांव में ही पढ़ाई है। उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हम सरकारी स्कूल में अच्छी पढ़ाई नहीं कर सकते हैं। क्योंकि पढ़ाई करना हमारे ऊपर ही निर्भर करता है, बल्कि हम सरकारी स्कूल में प्राइवेट स्कूल से बेहतर पढ़ाई कर सकते हैं। क्योंकि कठिन परीक्षा देकर ही शिक्षक बनते हैं। इसलिए हममें सिर्फ पढ़ने की इच्छा होनी चाहिए। स्कूल मायने नहीं रखता।