अमृतसर ,18 नवंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) : स्थानीय निकायमंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू के अपने गृह जिले में नगर निगम का निजाम सुधारता दिखाई नहीं दे रहा है। मुलाजिमों के वेतन और अन्य देनदारियों का आलम यह है कि कमिश्नर का अपनी सीट पर बैठना तक मुश्किल हुआ पड़ा है। हर माह निगम के 4500 मुलाजिमों का 14.50 करोड़ का वेतन बनता है, पिछले दो महीने से जहां उन्हें वेतन नहीं दिया गया, वहीं ठेकेदारों सहित अन्य देनदारियों की वजह से बनी परेशानी कम होती दिखाई नहीं दे रही है।
निगम में मुलाजिमों का वेतन सरकार से आने वाली वैट की राशि से निकलता है। पिछले दो महीनों सितंबर और अक्टूबर से वैट की राशि न होने से मुलाजिमों के वेतन का भुगतान नहीं हो पाया है और वह पिछले पांच दिनों से हड़ताल पर बैठे हुए है। इतना ही नहीं पंजाब सरकार की ओर से आने वाली एक्साइज ड्यूटी भी अभी तक पिछले साल के मुकाबले सात करोड़ कम आई है। इन सभी हालातों के बीच निगम मुलाजिमों द्वारा हड़ताल करने से प्रतिदिन आने वाला छह से सात लाख का रेवेन्यू भी बंद हो गया है। इन सभी हालात से निगम से पंजाब सरकार ही नहीं निकाय मंत्री भी अवगत है, परंतु हालात सुधारते दिखाई नहीं दे रहे है।
सीटों पर बैठने से गुरेज कर रहे अधिकारी
निगम की देनदारियों की बात करें तो मुलाजिमों का 20 करोड़ रुपया वेतन का जहां निगम पर बकाया है, वहीं 15-16 करोड़ प्रोविडेंट फंड, 6-7 करोड़ एलआइसी का भी बकाया है। इससे आगे बढ़ते हुए निगम के ठेकेदार भी त्राहि—त्राहि कर रहे हैं। अर्बन मिशन का काम करने वाले ठेकेदारों का 20 करोड़ और जनरल वर्क करने वाले ठेकेदारों का 6-7 करोड़ बनाया निगम की तरफ खड़ा है। 22 करोड़ के बिजली के बिलों का भी भुगतान निगम ने करना है। इन देनदारियों की वजह से अधिकारी खुद अपनी सीटों पर नहीं बैठ रहे, क्योंकि पैसे लेने वाले अधिकारियों के दफ्तरों चक्कर लगा रहे हैं।
सोमवार से ठप पड़ा है निगम में काम
निगम मुलाजिमों के वेतन में बार-बार देरी का मामला किसी से छिपा हुआ नहीं है। सितंबर और अक्टूबर का वेतन न मिलने पर सांझी संघर्ष कमेटी के बैनर तले कर्मचारी सोमवार से फिर से हड़ताल पर है। मुलाजिमों की हड़ताल की वजह से निगम की सारी व्यवस्थाएं ठप पड़ी हैं। निगम के विभागों की रिकवरी जहां बंद पड़ी है, वहीं वहां जन्म मृत्यु पंजीकरण सर्टिफिकेट, पानी-सीवरेज का बिल, प्रॉपर्टी टैक्स जमा करवाने और नक्शा पास करवाने के लिए आने वाले लोगों को भी खाली हाथ लौटना पड़ा रहा। हड़ताल कर रिकवरी प्रभावित करने को लेकर मुलाजिमों का एक खेमा सहमत नहीं है, लेकिन इसके बावजूद व्यवस्थाएं ठप पड़ी है।
वेतन और देनदारियों का मामला प्रदेश सरकार के ध्यान में है
मुलाजिमों के वेतन व अन्य देनदारियों को निगम अपने साधनों से गंभीरता से प्रयास कर रहा है। मामला निकाय मंत्री तक के ध्यान में है और वह इसे मुख्यमंत्री के समक्ष भी रखने वाले हैं। वैट में देरी और एक्साइज ड्यूटी कम आने से परेशानी बढ़ी है। इसके लिए भी सरकार से संपर्क साधा जा रहा है।
-अमित कुमार, कमिश्नर निगम।