चंडीगढ़,16 नवंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) । प्रदेश के शहरी क्षेत्र का दायरा बढ़ने के साथ पालिकाओं में शामिल हुए नियंत्रित क्षेत्र (कंट्रोल्ड एरिया) में अवैध निर्माण पर शिकंजा कसने तथा जनसुविधाओं को जुटाने के दौरान आम नागरिक पर अधिक बोझ न पड़े, इसके लिए शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन ने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। नियंत्रित क्षेत्र में व्यवसायिक प्रतिष्ठानों की तरह छोटी दुकानों को भी भूमि उपयोग नीति के तहत इजाजत देने की संभावना पर भी विचार किया जाएगा।
मंगलवार देर शाम हरियाणा सचिवालय स्तिथ अपने कार्यालय में शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन ने हुडा, नगर एवं शहरी आयोजना विभाग और शहरी स्थानीय निकाय विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में उन्होंने पालिका क्षेत्र में शामिल हुए नियंत्रित क्षेत्र में होटल एवं गेस्ट हाउस को सीएलयू देने की नीति में संशोधन करते हुए छोटे दुकानदारों एवं शोरूम संचालकों को भी सीएलयू लेने का अवसर देने पर योजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इससे नियंत्रित क्षेत्र में अवैध निर्माण पर रोक लगेगी तथा संबंधित क्षेत्र के विकास के लिए भी राजस्व में बढ़ोतरी होगी।
मंत्री कविता जैन ने प्रदेश के शहरी क्षेत्र में लाइसेंस शुदा छोटी कालोनी विकसित करने की दिशा में नागरिकों को प्रोत्साहित करने के लिए पालिका के नियंत्रित क्षेत्र के लिए तय बाहरी विकास शुल्क की दरों में व्यवहारिक बदलाव लाने के लिए दरों की समीक्षा करने के निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रापर्टी डीलर नागरिकों को बहला-फुसलाकर अपनी कालोनी काट देते हैं और लोगों के खून-पसीने की कमाई लगवा देते हैं। इन अवैध कालोनियों में 20-20 साल तक जनसुविधाएं नहीं जुट पाती, जिसमे आम आदमी की परेशानी बढ़ जाती है। बाहरी विकास शुल्क की दरें अधिक होने के कारण अवैध कालोनी पनप रही हैं, जिसे रोकने के लिए 2.5 एकड़ में विकसित होने वाली छोटी कालोनियों के लाइसेंस की प्रक्रिया सरल करने और बाहरी विकास शुल्क की दर व्यवहारिक किए जाएंगे। इससे जहां लाइसेंस शुदा कालोनी की परंपरा बढ़ेगी और आम लोगों को जल्द जनसुविधाएं मुहैया कराना सरल होगा। उन्होंने इस मुद्दे को गम्भीरता से लेते हुए अलग-अलग पालिकाओं में जमीन की ऊंची दरों के अनुसार तय बाहरी विकास शुल्क की दरों में संशोधन करने के लिए पुनर्मूल्यांकन करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि कुछ शहरों के अलग-अलग क्षेत्रों के व्यवसायिक हिसाब से अलग-अलग महत्व हैं, इसलिए शहरों में भी हाइपर, कम हाइपर जोन बनाकर बाहरी विकास शुल्क की राशि तय की जाए। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को कमेटी बनाकर पुनर्मूल्यांकन कराने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि पालिका के नियंत्रित क्षेत्र की विकास नीति में पूर्व में आ रही सभी अड़चनों को दूर करने पर जोर दिया, ताकि सरल तरीके से क्षेत्र का विकास किया जा सके और आमजन को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें।
इस अवसर पर शहरी आयोजना विभाग के प्रधान सचिव अरूण कुमार गुप्ता,शहरी स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव आनंद मोहन शरण, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक नितिन कुमार यादव, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक जे. गणेशन, शहरी आयोजना विभाग की मुख्य नगर योजनाकार के अलावा कई अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।