चंडीगढ़ ,7 नवंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) डड्डूमाजरा में गारबेज प्रोसेसिंग प्लांट चल रही कंपनी जेपी एसोसिएट्स को 13 नवंबर से शहर का पूरा कचरा प्रोसेसिंग के लिए प्लांट में लेना होगा। मंगलवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिए। गौरतलब है कि शहर से रोजाना 450 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। एनजीटी में हाई पॉवर कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसके तहत कंपनी अभी हर रोज 150 से 200 मीट्रिक टन कचरा ही प्रोसेसिंग के लिए ले रही है। इसके अलावा प्लांट के अंदर पड़े कचरे को प्रोसेस करने के लिए कंपनी को तीन सप्ताह का समय दिया गया है। एनजीटी ने कहा है कि निगम भी इस कचरे की प्रोसेसिंग के लिए कंपनी को सहयोग करें। इसके लिए निगम ने कंपनी पर 13 लाख रुपये का जो जुर्माना लगाया था, उसमें से 5 लाख रुपये कंपनी को वापस करने और 5 लाख रुपये प्लांट के अंदर पड़े कचरे को प्रोसेस करने में लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं। एनजीटी ने मामले का निपटारा करते हुए ये आदेश जारी किए हैं। अगर आगे भी कंपनी और निगम के बीच कोई विवाद होता है तो दोनों आर्बिटेशन में अपील कर सकते हैं।
कचरे को सेग्रीगेशन करके देने के निर्देश
इसके अलावा ट्रिब्यूनल ने निगम को भी निर्देश दिए हैं कि वे कचरे को सेग्रीगेशन करके ही प्लांट में भेजे, ताकि इसको प्रोसेस करने में प्लांट को आसानी हो सके। निगम शहर भर में अलग-अलग कचरा एकत्रित के मकसद से लोगों को हरे और नीले रंग के डस्टबिन बांट रहा है, ताकि गीले कचरे को हरे और ठोस कचरे को नीले डस्टबिन में डाला जा सकें। इसके लिए डोर टू डोर गारबेज कलेक्टरों को भी अलग-अलग डस्टबिन बांटे गए हैं। हाई पॉवर कमेटी ने ट्रिब्यूनल में ये भी बताया है कि कम्पोस्ट प्लांट को ट्रायल बेस पर जेपी ने शुरू कर दिया है, उसमें भी जल्द ही कचरे की प्रोसेसिंग होनी शुरू हो जाएगी। गौरतलब है कि शहर का पूरा कचरा प्रोसेस न करने के चलते निगम जेपी पर 13 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई थी। 24 जुलाई को एनजीटी ने इस संबंध में निर्देश जारी किए थे। टिप्पिंग शुल्क को लेकर ही नगर निगम और जेपी कंपनी के बीच नवंबर वर्ष 2013 से विवाद चल रहा है, जिसके बाद ही कंपनी एनजीटी में चले गई थी।