चंडीगढ़। इंसोल्वेंसी अथवा दिवालियापन अब किसी एक क्षेत्र से जुड़ा मामला नहीं बल्कि वैश्विक मुद्दा बन चुका है। उक्त विचार नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल चंडीगढ़ बैंच के मेंबर (ज्यूडिशयल) हरनाम सिंह ठाकुर ने आज पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित इम्पेडीमेंट्स इन अप्रूवल एंड इम्प्लीमेंटेशन ऑफ ए रेज्युलुशन प्लान विषय पर आयोजित कांफ्रैंस में बतौर सम्मानित अतिथि भाग लेकर संबोधित कर रहे थे।
पीएचडीसीसीआई में आईबीसी कोड 2016 पर हुआ सेमिनार
आईबीसी में चरणबद्ध लेनदारों का पैसा चुकाने की प्राथमिकता का प्रावधान
उद्योगपतियों, एच आर प्रोफेशनल, एडवोकेट व इंसोल्वेंसी प्रोफेशनल ने लिया भाग
इस सेमिनार में उद्योगपतियों के अलावा इंसोल्वेंसी प्रोफेशनल, एच.आर.प्रोफेशनल, एडवोकेट ने भाग लिया। ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में युवा उद्यमी फील्ड में स्टडी किये बगैर उद्योगों की स्थापना कर रहे हैं। यही बाद में दिवालियापन का कारण बन रहा है। युवाओं को फील्ड स्टडी के साथ योजनाबद्ध तरीके से उद्योगों की स्थापना करनी चाहिए।
उद्योगों का दिवालियापन वैश्विक समस्या बनता जा रहा है। इस अवसर पर बोलते हुए ट्रिब्यूनल के मेंबर (टेक्निकल) सुब्रता दास ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में गलती होने होने से अब तक 100 बिलियन डॉलरस का नुकसान हो चुका है। उन्होंने कहा कि इंसोल्वेंसी कोड के माध्यम से दिवालियापन के कगार पर पहुंचे उद्योगों को बचाया जा सकता है।
दास ने कहा कि इंडस्ट्री लॉ में लगातार संशोधन ओर बदलाव हो रहे हैं। जिन्हें स्टडी करना उद्योगपतियों के लिए जरूरी है। इंडस्ट्री लॉ की जानकारी के साथ उद्योगों को दिवालिया होने से बचाया जा सकता।
इस अवसर पर बोलते हुए पीएचडीसीसीआई एनसीएलटी एंड आईबीसी कमेटी के चेयर जी.पी.मदान ने कहा कि चैंबर द्वारा इस तरह के आयोजन के माध्यम से उद्योगपतियों को जागरूक किया जाता है। हाल के निर्णयों से संबंधित हैं जिनमें वित्तीय लेनदारों के बकाये पर कामगारों और कर अधिकारियों के बकाये को वरीयता दी गई है।
उन्होंने इंसॉल्वेंसी कानून के माध्यम से अभी तक हुई रिकवरी के बारे में जानकारी दी एवं इस विषय में इंसॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स, लॉयर्स एवं एनसीएलटी के सभी मेंबर्स के सहयोग की भरपूर सराहना की। मदान ने कहा कि भविष्य में एनसीएलटी व आईबीसी के बारे में जानकारी देने के लिए पीएचडी इस तरह के कार्यक्रमों का विस्तार करेगा। आईबीसी कमेटी के को-चेयर अभिषेक आनंद ने कहा कि जीडीपी की बढ़त में उद्योगिक विकास की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा की बैंक अगर लोन देते हैं तो उन्हें उद्योगों को समय समय पर गाइड करना भी जरूरी है।
इस के दौरान कर्मचारियों के मुद्दों पर चर्चा करते हुए सीनियर एडवोकेट आनंद छिब्बर, जे.के ग्रोवर, एडवोकेट अतुल वी.सूद, जी.पी. मदान के पैनल ने जस्टिस ठाकुर के साथ वर्ष 2016 में लागू हुए इंसोल्वेंसी एंड बैंक क्रप्ट कोड (आई.बी.सी.), ईपीएफओ, ग्रेच्यूटी, ईएसआई, के बारे में विस्तार से चर्चा की। दूसरे सत्र में टैक्स व अन्य गवर्नमेंट अथॉरिटी के बारे में इंसोल्वेंसी प्रोफशनल हरीश तनेजा, जी.एस. सरीन व रमनजीत सिंह ने पैनल चर्चा की। इस अवसर पर पीएचडीसीसीआई आईबीसी कमेटी के को-चेयर करण मेहरा, राजेश शर्मा, स्थानीय निदेशक भारती सूद समेत कई गणमान्य मौजूद थे।