चंडीगढ़। पंजाब के 32 किसान संगठनों की मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ हुई मैराथन बैठक में जहां 17 मांगों पर सहमति बन गई वहीं बैठक से पहले सीएम सिक्योरिटी द्वारा धक्का मुक्की किए जाने से नाराज किसानों ने पंजाब भवन के बाहर धरना भी दिया। मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री ने खुद वहां पहुंचकर किसानों को मनाया और फिर बैठक शुरू हुई। बैठक में कर्ज माफी के मुद्दे पर सहमति नहीं बनी है।
बैठक के बाद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि कृषि कानून पर हम किसानों के कहे मुताबिक प्रस्ताव लेकर आए।
पंजाब में काले कानून लागू नहीं किए जाने का प्रस्ताव पास किया गया है। इसके अलावा 2013 का अकाली सरकार का काले कानूनों से मिलता-जुलता कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट भी रद्द कर दिया है।
गुलाबी सुंडी से नरमे की फसल को हुए नुकसान को देखते हुए 12 हजार के मुआवजे को बढ़ाकर 17 हजार रुपए कर दिया है। जिनका 75 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ है, उन्हें इसका फायदा होगा। आंदोलन के दौरान 652 किसानों की मौत हुई। इनमें से 152 को ही नौकरी मिली है। सीएम ने किसान नेताओं से लिस्ट मांगी है। इसके बाद उनके परिवारों को नौकरी और मुआवजा देंगे।
गन्ने का रेट 360 कर दिया है। इसमें 35 रुपए सरकार और 15 रुपए गन्ना मिल डालेगी और काउंटर पेमेंट करेगी। मंडियों में जो फसल बच गई है, उसे अगले तीन-चार दिनों में खरीदेंगे। एपी स्कीम के तहत बागवानी वाले किसानों ने मीटर लिए हैं, उनका हर साल आने वाले 37 हजार का बिल आता है। उसे भी फ्री कर दिया गया है। पंजाब में गैर पंजाबियों की भर्ती रोकने के लिए एक हफ्ते में कानून ला रहे हैं। किसानों ने पंजाबियों के लिए 80 प्रतिशत कोटा रखने को कहा है।
किसान आंदोलन के दौरान पंजाब सरकार ने किसानों पर पर्चे किए हैं। जो भी केस आंदोलन से संबंधित होगा,उन सबको रद्द किया जाएगा। चंडीगढ़ में भी किसानों पर मामले दर्ज हुए हैं उन्हें रद्द करवाने के लिए गवर्नर से मिलेंगे। नकली बीज बेचने वाली फतेहाबाद की कंपनी के खिलाफ कार्रवाई होगी। किसान और खेत मजदूरों के लिए पेंशन स्कीम बनाई जाएगी।
सीएम बोले- इस्तीफा देकर मोर्चे में जाने को तैयार
इस मौके सीएम चरणजीत चन्नी ने कहा कि उन्होंने किसानों को कहा है कि अगर संयुक्त किसान मोर्चा कहे तो वे सरकार से इस्तीफा देकर भी आंदोलन में जाने को तैयार हैं।