-तिरंगा मेरी शान मिशन में महिला सम्मान पर होगा काम
-महिला जागरुकता शिविर में कही यह बात
गुरुग्राम। पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) शील मधुर ने महिला सशक्तिकरण पर बल देते हुए कहा कि इस काम की शुरुआत सबसे पहले अपने घर से ही करनी होगी। कामकाजी महिलाओं के काम को तो सेल्यूट है ही, साथ में घरों में रहकर पूरे घर-परिवार को संभालने वाली महिलाओं को भी उतना ही सम्मान मिलना चाहिए। यह बात उन्होंने रविवार को ब्राह्मण वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा महिलाओं के लिए एक जागरूकता शिविर में बोलते हुए कही।
उन्होंने कहा कि हर महिला का समाज के निर्माण में विशेष योगदान रहता है। देश की 90 फीसदी महिलाएं घरेलू हैं। उनके लिए भी कोई पुरस्कार होना चाहिए। चाहे वह अपने मोहल्ले, गांव, कस्बे, शहर के स्तर पर हो। वे पूरा परिवार चलाती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सम्मान देने के मिशन को वे अपने तिरंगा मेरी शान मिशन में शामिल करेंगे। यह बहुत जरूरी है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित दुर्गा वाहिनी पुलिस सेवा की अधिकारी से कहा कि जब भी किसी महिला द्वारा कॉल की जाए, तुरंत उसे सहायता मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि देश के हर घर में तिरंगा लहराए, ऐसी उनकी सोच है। इस पर वे काम कर रहे हैं। उन्होंने ब्राह्मण वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों की प्रशंसा भी की।
कार्यक्रम के अध्यक्ष शीतला अस्पताल के निदेशक डॉ. अजय शर्मा ने कहा कि हमें बीमारी से बचने के लिए अपने आप को मजबूत बनाना है। दुर्गा वाहिनी इंचार्ज इंस्पेक्टर सुमन सुरा ने हर समय महिलाओं को सुरक्षा देते रहने की बात कही। समाजसेवी प्रशांत भारद्वाज ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समय-समय पर ऐसे आयोजन होने चाहिए। भाजपा की वरिष्ठ नेता उषा प्रियदर्शी ने कहा कि हमें महिलाओं की शिक्षा पर विशेष जोर देना चाहिए। कल्याण सिंह शर्मा पूर्व आईआरएस और समाजसेवी राजकुमार त्यागी ने भी महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए महिलाओं को अधिक से अधिक अवसर देने की बात कही। मंच का संचालन कार्यक्रम का आयोजन ब्राह्मण वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष शर्मा ने किया।

हर हाल में मानसिक मजबूती जरूरी: पूनम सहराय
कोरोना वॉरियर नर्सिंग ऑफिसर पूनम सहराय ने कहा कि घर-परिवार नहीं अपनी मानसिक स्थिति को महिलाओं ने संभाला है। कोरोना संक्रमित रहते हुए परिवार को तनाव से बाहर निकाला और खुद बाहर रही। अपने साथ उपचाराधीन बाकी नर्सिंग ऑफिसर व अन्य मरीजों को भी साहस दिया। उन्होंने कहा कि हमें मानसिक रूप से मजबूत रहना चाहिए, तभी हम किसी भी बीमारी, मुसीबत से बाहर निकल सकते हैं। किसी भी स्थिति में अपना मानसिक संतुलन ना बिगडऩे दें। कोई भी समस्या कुल समय के लिए होती है। अगर हम संतुलित होंगे तो उस समस्या, परेशानी से बाहर निकल सकेंगे।
पढ़कर रुपये कमाना महिला सशक्तिकरण नहीं: सोना यादव
शिक्षाविद् सोना यादव ने कहा कि हर मंच पर महिला सशक्तिकरण की बात होती है। इस मुद्दे में पुरुष सशक्तिकरण पीछे छूट जाता है। महिला सशक्तिकरण पढ़-लिखकर नौकरी पा लेना नहीं है। केवल महिलाओं को चंद रुपये कमाना सिखाना सशक्तिकरण नहीं है। पुरुष का सशक्त होना भी महिलाओं का ही सशक्तिकरण है। सशक्तिकरण हमारी सोच में होना चाहिए।
हमारी तरक्की में घर-परिवार का सहयोग जरूरी: नलिनी
शिरोमणि वेल्फेयर फाउंडेशन संचालिका नलिनी अस्थाना ने कहा कि हमारी तरक्की में घर-परिवार का सहयोग होना जरूरी है। शिक्षा, संस्कृति, संगीत और कला क्षेत्र में वे काम करती हैं। डा. पुष्पा धनखड़ ने कहा कि अपने अन्य कार्यों के साथ हमें समाज के लिए भी कुछ करना चाहिए। अगर आगे बढऩा है तो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना। बच्चों में संस्कार पैदा करने की बात भी उन्होंने कही।
इस अवसर पर प्रधानाचार्य रेनू सिंह, रेलवे बोर्ड की सदस्य निशा शर्मा, डा. सोना यादव, डॉ. सुषमा चौहान, ब्राह्मण सभा झाड़सा अध्यक्ष नरेंद्र कौशिक, ब्राह्मण नेता सुरेंद्र शर्मा, युवा नेता राहुल पांडे, वरिष्ठ अधिवक्ता अर्चना चौहान, वरिष्ठ अधिवक्ता दीपक कटारिया, समाजसेवी निधि कोटिया, अन्नू कौशिक, अर्चना चौहान, गगनदीप चौहान, अभिषेक ठाकुर, कविता सरकार, पीपी मेहता, ललित पाराशर, मुकेश शास्त्री, प्रवीण शर्मा, सुरेश वशिष्ठ, ऑटो यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश शर्मा, आचार्य राकेश कुमार गर्ग, राजकुमार शर्मा आदि उपस्थित थे।