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गोवंश के चारे का विकल्प बनेगी ‘पराली’

October 25, 2021 11:42 AM

 
चंडीगढ़। राज्य सरकार की पराली प्रबंधन नीति कारगर साबित हो रही है। इससे प्रदूषण के संकट से निजात भी मिल रहा है। अब पराली को गोवंश के चारे के तौर पर विकल्प ढूंढा जा रहा है। गोशालाओं में चारे की कमी को दूर करने के लिए 500 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसको लेकर कृषि एंव किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक की ओर से सभी जिला उपायुक्त व जिला कृषि अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश दिए गए हैं।
प्रदेश भर में 582 पंजीकृत हैं और कुल 680 गोशालाएं हैं, जिनमें पांच लाख गोवंश है। गोशालाओं को गोवंश के चारे की समस्या से जूझना पड़ता है। खरीफ व रबी सीजन में गोशालाएं चारे का प्रबंध तो करती हैं, लेकिन वह प्रबंध भी केवल सहायता पर ही निर्भर करता है। लिहाजा इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने फैसला लिया है कि गोशालाओं को चारे के संकट से जूझना पड़े, इसको लेकर पराली को विकल्प बनाया जाएगा। 
गोशालाओं 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। हालांकि यह राशि प्रति एकड़ पराली ढुलाई (परिवहन) के लिए दी जाएगी। सरकार पराली से उत्पाद बनाने की दिशा में भी काम कर रही है। कृषि विभाग की ओर से प्रदूषण को खत्म करने के लिए तकरीबन 250 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। किसानों को कृषि यंत्रों पर सबसिडी दी गई है ताकि वे पराली और फानों को खेत में ही नष्ट कर सकें। इसके साथ ही किसानों को पराली प्रबंधन पर एक हजार रुपये भी दिए जा रहे हैं।


गो सेवा आयोग के सत्यापन के बाद मिलेगी राशि
सरकार की ओर से गोशालाओं को पराली ढुलाई पर 500 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह राशि उन्हीं गोशालाओं को दी जाएगी जो पंजीकृत होंगी। इसके साथ ही गोशालाओं को अपने जिले के कृषि कार्यालय में पंजीकरण करवाना होगा। गो सेवा आयोग और कृषि कार्यालय के सत्यापन के बाद यह राशि मुहैया करवाई जाएगी। इस राशि का वहन राज्य सरकार पराली प्रबंधन नीति के तहत करेगी। एक गोशाला को अधिकतम 15 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा सकती है।

इन जिलों में होता है पराली का उत्पादन
प्रदेश के 13 जिले ऐसे हैं, जहां धान का उत्पादन होता है, इन जिलों में धान के अवशेषों को जलाने के मामले सामने आए हैं। इनमें पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, सिरसा, फतेहाबाद, यमुनानगर, पलवल, पानीपत, जींद, सोनीपत जिला शामिल है। इनमें 199 गांवों को रेड तो 723 गांवों ओेरेंज व येलो जोन में शामिल किया गया है। हालांकि इन जिलों में पिछले साल की तुलना में इस बार किसान पराली को आग के हवाले न करके प्रबंधन पर जोर दे रहे हैं।

आयोग ने सभी गोशालाओं को भेजा पत्र
हरियाणा गो सेवा आयोग ने सभी गोशालाओं में चारा का प्रबंधन करने के लिए निर्देश दिए हैं। सिरसा, फतेहाबाद, अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल व करनाल सहित अन्य जिलों की गोशालाओं को संबंधित जिला कृषि कार्यालय में पहुंचकर अपना पंजीकरण करवाने के साथ पराली प्रबंधन के लिए टास्क फोर्स से संपर्क करने के भी निर्देश जारी किए गए हैं ताकि किसी भी गोशाला में चारे की कमी न रहे।
 
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