चंडीगढ़। धान के सीजन में हर बार प्रदूषण की समस्या बनने वाली हरियाणा की पराली इस बार पड़ोसी राज्यों के पशुओं के चारे में इस्तेमाल की जाएगी। इसके लिए हरियाणा सरकार ने पड़ोसी राज्यों के साथ बातचीत कर ली है। प्रदेश में धान की कटाई शुरू होने जा रही है। ऐसे में किसान पराली न जलाएं इसके लिए कृषि विभाग पहले से ही सतर्क हो गया है। इस बार किसानों की निगरानी करने का काम भी कृषि विभाग द्वारा ही किया जाएगा। पहले यह काम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीमों द्वारा किया जाता था।
हरियाणा में हर साल धान कटाई के सीजन में पराली जलाने को लेकर विवाद होता रहता है। पराली जलाने से उठने वाले धुएं को लेकर भी हरियाणा व दिल्ली आमने-सामने होते रहे हैं। हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को धान की बिजाई न करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिसके चलते पिछले साल जहां 38.19 लाख एकड़ में धान की बिजाई हुई थी वहीं इस साल धान का रकबा कम होकर 34.10 लाख एकड़ रह गया है। जिसमें से 19.50 लाख एकड़ में बासमति तथा 14.60 लाख एकड़ में चावल की अन्य किस्मों की बिजाई की गई है।
सरकार द्वारा पिछले साल पराली नहीं जलाने वाले किसानों को एक हजार रुपये प्रति एकड़ की दर 15 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि दी गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार पिछले साल प्रदेश में 9751 स्थानों पर पराली को आग लगाए जाने की घटनाएं सामने आई। जिसके बाद कृषि विभाग द्वारा 1600 किसानों के खिलाफ मामले दर्ज करवाए गए। इन किसानों से जुर्माने के रूप में 74.31 लाख रुपये वसूले गए।
हरियाणा कृषि विभाग के निदेशक हरदीप सिंह के अनुसार इस साल यह लक्ष्य निर्धारित किया गया कि है कि प्रदेश में कहीं भी पराली न जलाई जाए। जिसके चलते सभी जिला कृषि अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया गया है। फील्ड के कर्मचारियों को भी तैनात कर दिया गया है। यह टीमें किसानों को जागरूक करने का भी काम कर रही हैं।