चंडीगढ़। करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सोमवार को पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि डयूटी पर तैनात अधिकारी की शब्दावली सही नहीं थी। कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सख्ती करना अधिकारियों की जिम्मेदारी है लेकिन उन्हें संयम से काम लेना चाहिए। करनाल में हुई घटना पर पुलिस महानिदेशक से रिपोर्ट मांगी गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
हरियाणा सरकार के 2500 दिन पूरे होने के अवसर पर सोमवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा में चल रहे किसान आंदोलन के लिए सीधे तौर पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तथा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि प्रशासन के साथ समझौते के बावजूद करनाल में प्रदर्शन हिंसक रूप धारण कर गया। आज हरियाणा में बैठे 85 प्रतिशत किसान नेता पंजाब के हैं।
उन्होंने कहा कि लोतांत्रिक तरीके से नारे लगाने, झंडा दिखाने की किसानों को छूट है लेकिन किसी के काम में बाधा पहुंचाने की बात समझौते का उलंघन है। सीएम ने कहा कि हरियाणा की सीमा में बैठे किसानों को सरकार द्वारा बिजली, पानी, सफाई, शौचाल्य जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।
इसके बावजूद पंजाब के इशारे पर हरियाणा का माहौल खराब करके आम जनता को परेशान किया जा रहा है। सीएम ने कहा कि कथित किसान नेताओं को आंदोलन चलाने का कोई लाभ नहीं हो रहा है। इस कार्य के लिए हरियाणा को गलत चुना गया है। अब समाज के लोग इस आंदोलन के खिलाफ खड़े हो रहे हैं।
सीएम ने कहा कि पिछले दो दिन से बहुत से लोग इस बात के पक्ष में हैं कि माहौल बिगाडऩे वालों के खिलाफ सख्ती से निपटा जाए लेकिन सरकार संयम से काम ले रही है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी बहुत जल्द किसान संगठनों के साथ दोबारा बैठक करेंगे। जिसमें दो माह पहले हुए समझौते की शर्तों पर दोबारा चर्चा की जाएगी।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कांग्रेसियों तथा कम्यूनिस्टों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार केवल गेहूं व धान पर एमएसपी दे रही है। हरियाणा इस समय एमएसपी पर दस फसलें खरीद रहा है। इस आंदोलन को बढ़ावा देने वाले पंजाब व राजस्थान की सरकारें बताएं कि वह अपने राज्य के किसानों को कितनी फसलों का एमएसपी दे रही हैं।