चंडीगढ़, 27 अगस्त। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई हाई पावर लैंड परचेज कमेटी (एचपीएलपीसी) की बैठक में छह जिलों में सात परियोजनाओं की स्थापना के लिए किसान जमीन देने के लिए राजी हो गए हैं। जमीन मालिकों की सहमति के साथ ई-भूमि पोर्टल के माध्यम से 311 एकड़ भूमि की खरीद की जाएगी। जिसकी लागत लगभग 172 करोड़ रुपये आएगी। जमीन मालिकों की सहमति के बाद प्रदेश के रेवाड़ी, नूंह, सिरसा, फरीदाबाद, सोनीपत और जींद जिलों में नई परियोजनाएं शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को वीडियो कांफ्रैंसिंग के माध्यम से जिला उपायुक्तों के साथ एचपीएलपीसी की बैठक में कहा कि भूमालिकों की सहमति के बाद परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाई जाए।
बैठक में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे पी दलाल भी उपस्थित रहे। इसके अलावा, संबंधित जिलों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रस्तावित सरकारी परियोजनाओं के लिए अपनी जमीन देने पर सहमति जताने वाले भू-मालिकों ने भी बैठक में हिस्सा लिया।
बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने बताया कि छह जिलों में विभिन्न विभागों की परियोजनाओं के संबंध में भूमि खरीद से संबंधित कुल सात एजेंडा पर चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि बैठक में चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान, लोक निर्माण (भवन एवं सडक़ें), हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड और जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभागों के सभी सातों एजेंडा को मंजूरी दी गई। इनमें रेवाड़ी में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना, नूंह जिले में चार लेन मेडिकल कॉलेज रोड से गुरुग्राम-अलवर रोड (एनएच 248 ए) तक रिंग रोड का निर्माण, सिरसा में अतिरिक्त अनाज मंडी का विकास, सेंट्रल रोड फंड की अंतरराज्यीय कनेक्टिविटी योजना के तहत यमुना नदी पर जसना मंझावली अट्टा गुजरान होते हुए ग्रेटर नोएडा के लिए सडक़ और पुल का निर्माण, सोनीपत जिले में गन्नौर रेलवे स्टेशन के पास दिल्ली अंबाला सेक्शन में दो लेन आरओबी का निर्माण, सिरसा जिले में महाग्राम योजना के तहत चौटाला गांव में सीवरेज सिस्टम एसटीपी का निर्माण तथा जींद में नहर आधारित जलापूर्ति योजना का निर्माण शामिल है।
मनोहर लाल ने कहा कि रेवाड़ी जिले में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निर्माण के लिए लगभग 200 एकड़ भूमि की आवश्यकता है, जिसमें से आज ई-भूमि पोर्टल के माध्यम से लगभग 140 एकड़ भूमि निजी भूमालिकों से बातचीत के बाद खरीदी गई है। जबकि लगभग 60 एकड़ भूमि पंचायत भूमि है।
विपक्ष द्वारा भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2021 को किसान विरोधी बताए जाने के संबंध में सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि आवश्यक और आपातकालीन विकास परियोजनाओं को सुचारू रूप से पूर्ण करने के लिए यह विधेयक पारित किया गया है।
उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण एक लंबी प्रक्रिया थी, जिसके कारण विभिन्न विकास परियोजनाओं में अनावश्यक देरी होती थी, इसलिए अब राज्य सरकार ने पहले से ही एक प्रणाली बना ली है, जिसके तहत ई-भूमि पोर्टल के माध्यम से किसानों और भू-मालिकों से बातचीत कर उनकी सहमति से भूमि खरीदी जा रही है।