चंडीगढ़। संयुक्त किसान मोर्चा के मुख्य वक्ता राकेश टिकैत ने दावा किया है कि एक जनवरी से देशभर के किसान अपनी फसल को दोगुणे दामों पर बेचेंगे। इसकी तैयारी सरकार को करनी होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उनके मंत्री लगातार यह दावा करते रहे हैं कि जनवरी 2022 से किसानों की आमदन को दोगुणा कर दिया जाएगा। किसान अपनी फसल को दो गुणा दाम पर बेचने के लिए तैयार है। चार माह बाद देश के किसान की आमदन दो गुणा होगी या फिर केंद्र सरकार बेनकाब होगी।
पांच सितंबर को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत में शामिल होने के लिए पंजाब, हरियाणा तथा चंडीगढ़ के किसानों को निमंत्रण देने पहुंचे राकेश टिकैत ने आज यहां प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पांच सितंबर की महापंचायत में आंदोलन की नई रणनीति का ऐलान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन न तो अपने मूल उद्देश्य से भटका है और न ही आंदोलन को खत्म किया जा रहा है। देश-विदेश के सैकड़ों संगठन किसान आंदोलन के समर्थन में आ गए हैं। टिकैत ने कहा कि इस आंदोलन को दबाने के लिए सरकारों द्वारा कई असफल प्रयास किए जा चुके हैं। हर बार सरकार को मुंह की खानी पड़ी है। यह आंदोलन कृषि कानूनों के खिलाफ नहीं बल्कि देश को बचाने का है। उन्होंने दावा किया कि किसान महापंचायत में हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ से भारी संख्या में किसान उत्तर प्रदेश में जाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन को नौ माह हो चुके हैं। जिसमें यह साबित हो गया है कि केंद्र सरकार को निजी कंपनियां चला रही हैं। जिनके दबाव के चलते सरकार किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने किसान आंदोलन में देश के सभी वर्गों को शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि अगर आम लोग नहीं जागे तो वह दिन दूर नहीं जब मोदी सरकार देश का ही निजीकरण कर देगी। इसकी शुरूआत हो चुकी है।
टिकैत ने कहा कि किसान आंदोनल केवल कृषि कानूनों के खिलाफ नही बल्कि देश बचाने के लिए आंदोलन है। गन्ने के दाम में वृद्धि को नाकाफी बताते हुए टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन एक वैचारिक क्रांति है। यह आंदोलन शांतिपूर्वक ढंग से तब तक चलता रहेगा जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी। दिल्ली मोर्चे के मुद्दे पर टिकैत ने साफ किया कि किसान संगठनों के प्रतिनिधि देश के विभिन्न राज्यों में घूमकर सरकार के खिलाफ जनसमर्थन जुटा रहे हैं। दिल्ली मोर्चा किसी भी सूरत में समाप्त नहीं किया जाएगा। भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी के बारे में टिकैत ने कहा कि वह जो बयान दे रहे हैं वह उनके निजी बयान हो सकते हैं। मोर्चा इससे इत्तेफाक नहीं रखता है। इस अवसर पर पंजाब से भारतीय किसान यूनियन लखोवाल के प्रधान अजमेर सिंह लक्खोवाल, भारतीय किसान यूनियन हरियाणा (मान) के प्रधान रतन मान समेत कई राज्यों के किसान प्रतिनिधि मौजूद थे।