चंडीगढ़, 11 जून। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि हमें क्वांटिटी के साथ साथ क्वालिटी पर ध्यान देते हुए खेती करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है और वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत हमें क्वालिटी का चैलेंज स्वीकार करके कृषि क्षेत्र में आगे बढना होगा। आमदनी बढानी है तो प्राकृतिक खेती की ओर जाना ही पड़ेगा।
मुख्यमंत्री शुक्रवार को पंचकूला में आयोजित एक दिवसीय कृषि कार्यशाला में उपस्थित प्रदेश भर से आए प्रगतिशील किसानों को सम्बोधित करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर खुशहाल बागवानी पोर्टल एवं फसल तुड़ाई के बाद प्रबंधन संबंधी जानकारी से युक्त पुस्तिका का लोकार्पण भी किया।
उन्होंने प्रगतिशील किसानों का आह्वान किया कि वे हर वर्ष 10-10 और किसानों को ट्रेनिंग दें। इससेे दो से तीन सालों में ही प्रगतिशील किसानों की संख्या कई गुणा बढ जाएगी। उन्होंने कहा कि खेती है तो उद्योग है और तभी सर्विस सैैक्टर है। खेती एवं खनिजों के उत्पादन में जितनी अच्छी क्वालिटी होगी उतना ही समाज के लिए लाभदायक होगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि हर वर्ष जलस्तर एक मीटर से भी ज्यादा नीचे जा रहा है। इसलिए इस संकट के दृष्टिगत हमें प्रबंध करने होंगे । हमें आने वाली पीढी को क्या सौंप कर जाना है, यह ध्यान में रखते हुए पानी का समुचित प्रबंधन एवं उपयोग करने की आवश्यकता है। टयूबवैल कनैक्शनों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमें माईक्रो सिंचाई प्रबंधन की ओर बढना होगा। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती की उपयोगिता पर बल देते हुए कहा कि एक देशी गाय का पालन करने से हम 30 एकड़ कृषि भूमि पर प्राकृतिक खेती कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती करने से उत्पादन घटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कुरुक्षेत्र गुरुकुल के 200 एकड़ के फार्म में की जा रही प्राकृतिक खेती का उदाहरण देते हुए कहा कि इससे न केवल उत्पादन बढा बल्कि मार्केट के मुकाबले अधिक दाम भी मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि फर्टिलाईजर व पेस्टिसाईड का इस्तेमाल करने वाले किसानों के खेतों की आर्गेनिक कार्बन का स्तर 0.3 से 0.4 से अधिक नहीं है जबकि हमारे गुरुकुल में यह स्तर 0.8 से ऊपर है। हरियाणा के कृषि मंत्री जे पी दलाल ने मुख्यमंत्री को किसानों का सच्चा हितैषी बताते हुए कहा कि सरकार ने किसान के हक में नीतियां बनाकर किसानों का जीवन बदलने का लक्ष्य बनाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना जोत वाले पशु पालकों को भी 56 हजार पशु किसान के्रडिट कार्ड प्रदान कर बड़ा काम किया है। इसके तहत 4 प्रतिशत ब्याज की दर से इन किसानों को भी ऋण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना स्वैच्छिक है लेकिन फिर भी पहले से ज्यादा किसानों को लाभ मिला है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की एसीएस डा. सुमिता मिश्रा ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यशाला की उपयोगिता बारे में जानकारी दी। कार्यशाला में महानिदेशक कृषि विभाग हरदीप सिंह, कृषि एवं बागवानी विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।